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कटारिया के बाद पूनिया vs राजे! किसे मिलेगी विधानसभा में अब नेता प्रतिपक्ष की कमान?

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राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद विधानसभा और मेवाड़ में जगह खाली हो गई है. राजस्थान में चल रहे बजट सत्र के बीच नेता प्रतिपक्ष का जाने से इस खाली पद पर जल्द ही बीजेपी कोई नया नाम तय कर सकती है. माना जा रहा है कि अगले नेता प्रतिपक्ष के चेहरे से ही राजस्थान में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव की दिशा तय होगी. वहीं बीजेपी ने इस बदलाव के जरिए उम्रदराज नेताओं की जगह नई पीढ़ी के नेताओं को आगे लाने यानि कि जनरेशन शिफ्ट के पैटर्न की एक शुरुआत का संकेत दिया है. इसी कड़ी में अब नए नेता प्रतिपक्ष पर सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें चल रही है. जानकारी के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया 16 फरवरी को मुख्यमंत्री के रिप्लाई से पहले विधानसभा में विपक्ष की बात को रखेंगे. हालांकि अभी तक नया नेता प्रतिपक्ष तय नहीं हुआ है लेकिन पार्टी ने पूनिया को ही विपक्ष की तरफ से सवाल उठाने के लिए अधिकृत किया है. वहीं एक चर्चा यह भी है कि विपक्ष के नेता को सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा सकता है. हालांकि इस रेस में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी बनी हुई है. इधर जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की इस तरह की अनदेखी बीजेपी को सूबे में भारी पड़ सकती है. आइए एक नजर डालते हैं कि नेता प्रतिपक्ष के लिए किसका पलड़ा कितना भारी है और कौन इस रेस में आगे और पीछे चल रहा है.

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कौन है नेता प्रतिपक्ष की रेस में ?

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राजे की दावेदारी मजबूत !

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कटारिया के जाने के बाद एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर हर किसी की नजरें टिक गई हैं. इससे पहले भी वह नेता प्रतिपक्ष रह चुकी हैं. राजे बहुत अनुभवी और नेतृत्व क्षमता वाली नेता मानी जाती है और राज्य में उनका एक बड़ा समर्थक वर्ग है. यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या वसुंधरा राजे को चुनावी साल में फिर से बड़ा जिम्मा देने के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद कटारिया से लिया गया है? वहीं राजे के नेता प्रतिपक्ष बनने के पीछे कारणों को देखा जाए तो उन्होंने विपक्ष में रहते हुए चुनावी साल में सत्ताविरोधी लहर को बीजेपी के पक्ष में कर दिखाया है और उनका ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है. हालांकि राजे की आलाकमान से इन दिनों नाराजगी भी जगजाहिर है. इधर राजे को प्रतिपक्ष का चेहरा बनाए जाने के पीछे उनका विरोधी खेमा यह तर्क देता है कि इससे नए चेहरों को आगे लाने और जनरेशन शिफ्ट का संदेश कमजोर होगा.

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रेस में पूनिया और राठौड़ भी

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वहीं वसुंधरा राजे के अलावा पार्टी उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को भी प्रमोट कर नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. इधर पार्टी के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में आ चुके हैं. हालांकि राठौड़ उनसे काफी सीनियर नेता हैं और वर्तमान में उपनेता प्रतिपक्ष हैं. राजेंद्र राठौड़ की दावेदारी देखें तो वह एक अनुभवी नेता हैं और राजस्थान बीजेपी में उनकी गिनती अनुभवी नेता के तौर पर होती है. वहीं संसदीय मामलों की जानकारी से लेकर विधानसभा सक्रियता उनके पक्ष में जाती हुई दिखाई देती है. वहीं राठौड़ विपक्ष खेमे से विधानसभा की हर कार्रवाई में शामिल होते हैं और सरकार पर हमलावर रहते हैं. हालांकि राठौड़ के खेमेबाजी वाले समीकरण उनके खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं क्योंकि एक जमाने में राठौड़ राजे खेमे के नेता थे और इसके बाद वह पूनिया गुट में शामिल हो गए.

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चौंकाने वाला भी हो सकता है नाम

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वहीं जालोर से बीजेपी विधायक जोगेश्वर गर्ग का नाम भी चर्चा में चल रहा है जो वर्तमान में बीजेपी विधायक दल के सचेतक हैं. गर्ग काफी समय से पार्टी से जुड़े हैं और पार्टी का उस इलाके में दलित चेहरा है. ऐसे में पार्टी चुनावी साल में संदेश देने की प्रक्रिया के तहत गर्ग को भी आगे कर सकती है. जानकारों का कहना है कि गर्ग अभी राज्य की राजनीति में बड़ा चेहरा नहीं है और बीजेपी के नए लोगों को मौका देने के पैटर्न में उन्हें मौका मिल सकता है.

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