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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अब लोगों का फोकस बदल गया है. वे अब रोटी-कपड़ा-मकान की बजाय शिक्षा-स्वास्थ्य को तरजीह देने लगे हैं. आरएसएस चीफ ने कहा कि दुनिया में पहले इंसान की जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान था लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब शिक्षा और स्वस्थ ये दोनों जरूरी है. मोहन भागवत मुंबई के बोरीवली इलाके में एक अस्प्ताल के उद्घाटन में पहुंचे थे. मंच से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय समाज में बहुत ही अच्छा काम चल रहा है और कई बार नकारात्मक चर्चा ज्यादा ही शुरू हो जाती है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अपने देश में अच्छा और बुरा दोनों की चर्चा शुरू है. देश में 40 फीसदी अच्छा काम हो रहा है. इंसान को बीच बीच में अच्छा काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपना घर गिरवी रखकर बच्चों को पढ़ाने वाले और खुद का इलाज करवाने वाले लोग हैं.
मनुष्य दूसरों का दुख नहीं देख सकता- आरएसएस चीफ
भागवत ने कहा कि अपने समाज के उभरते हुए रूप का दर्शन मैं ऐसे करता हूं. अपने स्वास्थ्य के लिए सब कुछ लोग आज दाव पर लगा देते हैं. उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि छोटी बड़ी सेवाएं जहां चलती है, वही तीर्थस्थल है. आरएसएस चीफ भागवत ने कहा कि जहां शुद्ध भाव से सेवा होती है, वहीं पर नर और नारायण की सेवा की तीर्थस्थल है. मनुष्य दूसरे को दुःख देकर चुप नहीं रह सकता. वो कुछ ना कुछ करेगा और नहीं कर सकता तो आंखे बंद कर लेगा, ताकि दिखे नहीं.
अब लोगों के लिए स्वास्थ्य-शिक्षा जरूरी- भागवत
मनुष्य की जिंदगी में अब रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा अब शिक्षा और स्वास्थ्य अनिवार्य है, लेकिन खुली आंखों से दुनियां का दुःख देख नहीं सकता, ये सभी मनुष्यों में होता है. भगवत ने कहा कि एक बात समाज में दिखाई देती है. 40 साल पहले समाज में जो भावना थी अब वो अलग है. 40 साल पहले से ज्यादा अब देश को गौरवान्वित करने की भावना दिखाई देती है.