रिपोर्ट टाइम्स।
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ जाते है…तो सदन में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों को जनता के मुद्दे उठाने का अधिकार होता है, लेकिन जब उन्हीं पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगने लगे, तो यह सियासत के नए मोड़ की ओर इशारा करता है।
राजस्थान विधानसभा में आरएलडी विधायक डॉ. सुभाष गर्ग के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया गया, जिसके बाद सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। विधायक गर्ग ने भरतपुर में अतिक्रमण से जुड़ा मुद्दा उठाया था, जिस पर सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई। मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने आरोप लगाया कि विधायक ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया और सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की।
सदन में प्रस्ताव पेश होने के बाद विपक्ष ने जमकर विरोध किया और सरकार पर लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने का आरोप लगाया। वहीं, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने इसे निराधार और असत्य करार देते हुए विपक्ष की मंशा पर सवाल उठाए।
यह मामला सिर्फ सदन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह सत्ता और विपक्ष के बीच एक नए सियासी टकराव का केंद्र बन गया है। सवाल यह उठता है कि क्या यह विशेषाधिकार हनन का मामला है या फिर राजनीतिक विरोधियों को घेरने की एक सोची-समझी रणनीति?
क्या है पूरा मामला?
24 फरवरी को आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने भरतपुर के लोहागढ़ किले के रहवासियों से जुड़े एक गंभीर मुद्दे को राजस्थान विधानसभा में उठाया। उन्होंने दावा किया कि प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, जिससे वहां के लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। उन्होंने कहा कि इससे हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं और सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।
विधायक ने लोगों में डर बनाने की कोशिश
मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने इस दावे को पूरी तरह गलत बताया। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा ऐसे कोई नोटिस जारी नहीं किए गए हैं और विधायक सुभाष गर्ग असत्य तथ्यों को सदन में पेश कर रहे हैं। उनका आरोप था कि विधायक जानबूझकर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, जो विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।
विशेषाधिकार हनन का गंभीर मामला
मुख्य सचेतक ने कहा कि डॉ. गर्ग ने गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह करने की कोशिश की। यह सदन की अवमानना के दायरे में आता है और इसे गंभीर विशेषाधिकार हनन का मामला माना जाना चाहिए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से इस पर संज्ञान लेने की मांग की और कड़ी कार्रवाई की बात कही।
क्या बढ़ सकती है विधायक की मुश्किलें?
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश होने के बाद सदन में इस पर विस्तृत चर्चा होने की संभावना है। अगर यह प्रस्ताव विधानसभा से मंजूर होता है, तो मामला विधानसभा की विशेषाधिकार समिति को सौंपा जा सकता है। इसके बाद समिति पूरे मामले की जांच करेगी, जिससे विधायक सुभाष गर्ग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
राजनीतिक टकराव बढ़ने के आसार
यह मामला सिर्फ एक विधायक के खिलाफ कार्रवाई का नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ते राजनीतिक संघर्ष का प्रतीक बन सकता है। विपक्ष इसे सरकार की मनमानी करार दे रहा है, जबकि सरकार इसे सदन में गलत सूचना फैलाने की कोशिश बता रही है। अब देखना यह होगा कि क्या यह प्रस्ताव पारित होता है या नहीं, और इस सियासी घमासान का अंजाम क्या होगा?