शिवनगरी के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम अंतिम पड़ाव पर एक सौ एक वें शिवालय के दर्शन कराने हम पहुंचे हैं गांधीचौक स्थित श्री द्वारिकाधीश रघुनाथ सूर्य मंदिर में।
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https://youtu.be/PxVshFv6G0I
मुख्य सड़क मार्ग पर कुछ सीढियां चढ़कर मन्दिर के विशाल द्वार से मन्दिर में प्रवेश करते ही सामने बना है शिवालय। यहां गणेश जी और माता पार्वती भी विराजित हैं। बताया जाता है इस मंदिर में ये सबसे प्राचीन शिवलिंग हैं। वहीं मुख्य द्वार के बिल्कुल पास में ही नीचे बने आहते में भी दो शिवलिंग स्थापित हैं। बताया जाता है नागा साधुओं द्वारा बनाए गए इस शिवालय में सन्तों की समाधियों के ऊपर शिवलिंग स्थापित कराए गए हैं। इसके पीछे तर्क ये है कि शिवलिंग स्थापित करने से जगह सुरक्षित तो हुई ही, साथ ही यहां पर निरन्तर पूजा अर्चना होने लगी। अब आपको मन्दिर के अंदर लेकर चलते हैं। मन्दिर के मुख्य सभामण्ड में तीन गर्भगृह हैं। प्रथम में वेंकटेश्वर, श्रीराम-जानकी, बालकृष्ण और शालिग्राम विराजे हैं। वहीं उसके पास बने दूसरे गर्भ गृह में द्वारिकाधीश और रुक्मणि विराजित हैं। तीसरे गर्भ गृह में भगवान सूर्य नारायण माता छाया और शेषनाग व अन्य विग्रह विराजित हैं। इस सभामण्ड के सामने चौक में बने मन्दिर में हनुमान जी के चार विग्रह स्थापित हैं। वहीं इसके एक तरफ नामदेव जी का स्थान है। ईशान कोण में एक शिवलिंग भी स्थापित है। पास में ही नन्दी महाराज विराजे हैं। ऊपर की तरफ गणेश जी और माता पार्वती विराजित हैं। शिवालयों की इस श्रृंखला की शुरुआत 6 जुलाई 2020 को गांधीचौक के लक्ष्मीनारायण मन्दिर जिसे महमियों के मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है से की थी। आज इस श्रृंखला का विराम भी 101वें देवालय के साथ गांधीचौक के श्रीद्वारिकाधीश रघुनाथ जी सूर्य मंदिर में हुआ है।