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राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत आने के बाद चारो तरफ इस बात की चर्चा है कि सूबे का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. मुख्यमंत्रियों की दौड़ में राजस्थान में बीजेपी के हिंदुत्व के चहरे के तौर पर देखे जा रहे बाबा बालकनाथ पर बहुत बात हो रही. लेकिन अगर आप ध्यान से गौर करें तो पाएंगे कि राजस्थान विधानसभा में केवल वही एक भगवा वस्त्र वाले विधायक नहीं होंगे. उनके अलावा तीन और पुजारी या महंत इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट से जीत कर सदन पहुंच रहे हैं. राज्य के राजनीतिक इतिहास में यह अपने आप में पहली घटना होगी जब चार पुजारी या महंत विधायक के तौर पर सदन में बैठेंगे. एक तो बाबा बालकनाथ हुए जो तिजारा सीट से विधायक चुने गए हैं. वहीं, हवामहल से बालमुकुंद आचार्य, पोकरण से महंत प्रताप पुरी और सिरोही से ओटाराम देवासी विधायक चुने गए हैं. ओटाराम देवासी के अलावा बाकी के तीनों पुजारी या महंत पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली सरकार के मातहत ओटराम देवासी राज्य में मंत्री रह चुके हैं.
बालमुकुंद आचार्य कौन हैं?
हवामहल से चुने गए बालमुकुंद आचार्य तब चर्चा में आए थे जब मंदिरों को तोड़ने के खिलाफ एक अभियान की उन्होंने शुरूआत की थी. अभी उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें वो अपने निर्वाचन क्षेत्र में कथित तौर पर नॉनवेज भोजन बेचने वाले दुकानों को बंद करने का निर्देश देते हुए दिखलाई दिए. यह निर्देश वह फोन कॉल पर किसी अधिकारी को दे रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में जब चुनाव प्रचार के दौरान रोड शो किया था तब बालमुकुंद आचार्य के निर्वाचन क्षेत्र में भी उसकी अपील सुनी गई थी.
ओटाराम देवासी और प्रताप पुरी
ओटाराम देवासी सिरोही सीट से विधायक बने हैं. उन्होंने कांग्रेस के संजय लोढ़ा को हराकर इस चुनाव में जीत हासिल की है. ओटाराम के लाखों अनुयायी और समर्थक हैं. मुंडारा माता मंदिर के वे महंत हैं. 2018 में मंत्री रहते हुए उन्होंने चुनाव तो लड़ा था लेकिन वह एक निर्दलीय उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे. जब वसुंधरा राजे की 2013 से लेकर 2018 तक राज्य में सरकार थी तब वह गोपालन मंत्री के तौर पर मंत्रालय का कामकाज देख रहे थे. वहीं तारातारा मठ के प्रमुख महंत प्रताप पुरी पोकरण से विधायक चुने गए हैं. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के शाले मोहम्मद को हरा कर वे विधानसभा पहुंच रहे हैं.