बांसवाड़ा। रिपोर्ट टाइम्स।
राजस्थान के वागड़ (बांसवाड़ा-डूंगरपुर) में निष्कलंक भगवान और वागड़ विभूति के तौर पर पूजे जाने वाले बेणेश्वर धाम (त्रिवेणी संगम) के महंत मावजी महाराज की 311वीं जयंती जया एकादशी पर हर साल की भांति इस बार भी दो दिवसीय माव संगोष्ठी (सेमीनार) का आयोजन किया जा रहा है. माव संगोष्ठी का आयोजन शनिवार, 8 फरवरी एवं 9 फरवरी 2025 को दो दिवसीय होगा.
माव संगोष्ठी पीठाधीश्वर गोस्वामी अच्युतानंद महाराज के सान्निध्य में हर साल आयोजित की जाती है जहां इस साल भी श्री निष्कलंक भगवान प्रन्यास, बेणेश्वर धाम, राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय माव संगोष्ठी का आयोजन होना है.
मालूम हो कि जनजाति क्षेत्र में करीब 300 साल पहले साबला में संत मावजी महाराज का जन्म हुआ था जहां बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि होने के कारण उन्होंने आध्यात्म की ओर रुख किया. वहीं 15 साल की उम्र में उन्हें दिव्य योग से ज्ञान की प्राप्ति हुई. बताया जाता है कि करीब 237 साल पहले बेणेश्वर धाम के महंत मावजी महाराज की 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियां आज सही साबित हो रही है.
संगोष्ठी के विषयों पर लेख-आलेख आमंत्रित
बता दें कि संगोष्ठी के लिए तदर्थ विद्वान, साहित्य प्रेमी, भाषा वैज्ञानिक तथा संकायाध्यक्षों से संबंधित विषयांतर्गत अथवा पूरक विषयों पर अपने सारगर्भित लेख-आलेख प्रदान कर सकते हैं. इनमें शोध, सार, तथ्य परक, सरल-संक्षिप्त एवं स्तरीय सामग्री को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाएगी. आप अपनी लेखनी व्यक्तिगत अथवा वाट्सएप नंबर 9461381400 पर 18 जनवरी 2025 को रात 10 बजे तक भेज सकते हैं.
इन विषयों पर लेखन सामग्री भेजी जा सकती है जैसे 1. मावजी की 100 भविष्यवाणियां 2. मावजी के दिव्य चमत्कार 3. भुंगल पुराण और उसकी उपादेयता 4. मावजी धरती संवाद 5. महाकवि मावजी 6. चित्रकार मावजी 7. रास रचैया मावजी 8. धेनु चरैया मावजी 9. मावजी के ग्रंथ और गुटखे 10. मावजी का कृष्ण स्वरूप 11. सर्वसखा मावजी 12. साद वाणी और मावजी 13. सादों की सौगात -मावजी 14. श्रव्य शास्त्र और मावजी 15. मावजी की प्रासंगिकता
कौन थे संत मावजी महाराज?
मावजी महाराज का जन्म साबला गांव में विक्रम संवत 1771 में माघ शुक्ल पंचमी को हुआ था जहां उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का नीला अवतार कहा जाता है. मावजी महाराज का जब जन्म हुआ तब हेलिकॉप्टर, हवाई जहाज, बिजली, डामर, सड़क और मोबाइल जैसी चीजों का नाम तक नहीं था लेकिन मावजी महाराज ने अपनी भविष्य देखने की क्षमता के इनका भी चित्रण किया.
संत मावजी की याद में बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर जिलों के बीच माही सोम एवं जख्म नदियों के बीच हर साल माघ पूर्णिमा पर 10 दिन का विशाल मेला भरता है जिसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहते हैं. बताया जाता है कि 350 साल पहले संत मावजी महाराज ने 5 चौपड़े लिखे थे जिसमें से एक शेष गुरु, दूसरा साबला, तीसरा बांसवाड़ा और चौथा कुंजपुर में है.