रिपोर्ट टाइम्स।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा भाजपा और आरएसएस पर देश के संस्थानों पर कब्जा करने के आरोप लगाने के बाद राजस्थान में सियासी माहौल गरमाया हुआ है। राहुल के बयान को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी जुबानी जंग शुरू हो गई है। कांग्रेस ने राहुल गांधी के बयान को सही ठहराते हुए इसे देश की जनता को सचेत करने वाला कदम बताया, वहीं भाजपा ने राहुल की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए इसे भारत के प्रति न मानकर उनके परिवार के प्रति होने का आरोप लगाया। यह राजनीतिक विवाद अब राजस्थान में भी गहरा गया है, जहां दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर तंज कसने में जुटी हैं।
आरएसएस की नीतियों पर कड़ा प्रहार
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी के बयान को उचित बताते हुए कहा कि उनका बयान इस परिप्रेक्ष्य में सही था, जिसमें उन्होंने सरकार की तरफ से संस्थाओं पर दबाव बनाने की समस्या को उजागर किया। उनका कहना था कि यह बयान देश की मौजूदा स्थिति की सच्चाई को सामने लाने वाला था।
गहलोत ने ईडी पर भी हमला करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से यह स्पष्ट हुआ है कि ईडी का उद्देश्य केवल लोगों को आरोपी बनाकर जेल में डालना है, ताकि सरकार जनता को डराकर अपने खिलाफ उठने वाली आवाज़ों को दबा सके। उनका कहना था कि ईडी का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है और इससे लोकतंत्र को खतरा है।
राहुल से दादी की सीख लेने की सलाह
भा.ज.पा. प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राहुल गांधी या तो शब्दों का सही चयन नहीं कर पाते, या फिर इस बयान के माध्यम से उनका वास्तविक भावनात्मक पक्ष सामने आ गया है। राठौड़ ने राहुल गांधी की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बयान यह स्पष्ट करता है कि राहुल की निष्ठा भारत के प्रति नहीं, बल्कि कहीं और है। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल का बयान वफादारी और राष्ट्रीय चरित्र के मानकों के अनुरूप नहीं है।
राठौड़ ने राहुल गांधी को उनकी दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने उदाहरण के तौर पर जीप घोटाले का हवाला देते हुए कहा कि जब इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था और विदेशों में इस पर सवाल किए गए थे, तो उन्होंने कहा था, “भारत की बात भारत में ही करूंगी।” राठौड़ के अनुसार, राहुल को भी देश के अंदर और बाहर इस तरह की शब्दावली का चयन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।