रिपोर्ट टाइम्स।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. प्रदोष का व्रत महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी विधि-विधान से प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा करते हैं उन पर हमेशा भगवान शिव कृपा बनाए रखते हैं.
भगवान शिव की बरसती है कृपा
मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने वालों को भगवान शिव की कृपा से करियर कारोबार में सफलता मिलती है. जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है. प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय भगवान शिव के इन 108 नामों का जाप अवश्य ही करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
प्रदोष व्रत 2025
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 26 जनवरी को रात 8 बजकर 54 मिनट पर हो चुकी है. ये तिथि आज यानी 27 जनवरी रात 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगी. ऐसे में माघ महीने का पहला प्रदोष व्रत आज रखा जा रहा है. आज सोमवार है. इसलिए इस व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है.
भगवान शिव के इन नामों का करें जाप
- ॐ महाकाल नमः
- ॐ भीमेश्वर नमः
- ॐ विषधारी नमः
- ॐ बम भोले नमः
- ॐ विश्वनाथ नमः
- ॐ अनादिदेव नमः
- ॐ उमापति नमः
- ॐ गोरापति नमः
- ॐ गणपिता नमः
- ॐ ओंकार स्वामी नमः
- ॐ ओंकारेश्वर नमः
- ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
- ॐ भोले बाबा नमः
- ॐ शिवजी नमः
- ॐ रुद्रनाथ नमः
- ॐ भीमशंकर नमः
- ॐ नटराज नमः
- ॐ प्रलेयन्कार नमः
- ॐ चंद्रमोली नमः
- ॐ डमरूधारी नमः
- ॐ चंद्रधारी नमः
- ॐ दक्षेश्वर नमः
- ॐ घ्रेनश्वर नमः
- ॐ मणिमहेश नमः
- ॐ अनादी नमः
- ॐ अमर नमः
- ॐ आशुतोष महाराज नमः
- ॐ विलवकेश्वर नमः
- ॐ भोलेनाथ नमः
- ॐ कैलाश पति नमः
- ॐ भूतनाथ नमः
- ॐ नंदराज नमः
- ॐ नन्दी की सवारी नमः
- ॐ ज्योतिलिंग नमः
- ॐ मलिकार्जुन नमः
- ॐ शम्भु नमः
- ॐ नीलकंठ नमः
- ॐ महाकालेश्वर नमः
- ॐ त्रिपुरारी नमः
- ॐ त्रिलोकनाथ नमः
- ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
- ॐ बर्फानी बाबा नमः
- ॐ लंकेश्वर नमः
- ॐ अमरनाथ नमः
- ॐ केदारनाथ नमः
- ॐ मंगलेश्वर नमः
- ॐ अर्धनारीश्वर नमः
- ॐ नागार्जुन नमः
- ॐ जटाधारी नमः
- ॐ नीलेश्वर नमः
- ॐ जगतपिता नमः
- ॐ मृत्युन्जन नमः
- ॐ नागधारी नमः
- ॐ रामेश्वर नमः
- ॐ गलसर्पमाला नमः
- ॐ दीनानाथ नमः
- ॐ सोमनाथ नमः
- ॐ जोगी नमः
- ॐ भंडारी बाबा नमः
- ॐ बमलेहरी नमः
- ॐ गोरीशंकर नमः
- ॐ शिवाकांत नमः
- ॐ महेश्वराए नमः
- ॐ महेश नमः
- ॐ संकटहारी नमः
- ॐ महेश्वर नमः
- ॐ रुंडमालाधारी नमः
- ॐ जगपालनकर्ता नमः
- ॐ पशुपति नमः
- ॐ संगमेश्वर नमः
- ॐ अचलेश्वर नमः
- ॐ ओलोकानाथ नमः
- ॐ आदिनाथ न
- ॐ देवदेवेश्वर नमः
- ॐ प्राणनाथ नमः
- ॐ शिवम् नमः
- ॐ महादानी नमः
- ॐ शिवदानी नमः
- ॐ अभयंकर नमः
- ॐ पातालेश्वर नमः
- ॐ धूधेश्वर नमः
- ॐ सर्पधारी नमः
- ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
- ॐ हठ योगी नमः
- ॐ विश्लेश्वर नमः
- ॐ नागाधिराज नमः
- ॐ सर्वेश्वर नमः
- ॐ उमाकांत नमः
- ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
- ॐ त्रिकालदर्शी नमः
- ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
- ॐ महादेव नमः
- ॐ गढ़शंकर नमः
- ॐ मुक्तेश्वर नमः
- ॐ नटेषर नमः
- ॐ गिरजापति नमः
- ॐ भद्रेश्वर नमः
- ॐ त्रिपुनाशक नमः
- ॐ निर्जेश्वर नमः
- ॐ किरातेश्वर नमः
- ॐ जागेश्वर नमः
- ॐ अबधूतपति नमः
- ॐ भीलपति नमः
- ॐ जितनाथ नमः
- ॐ वृषेश्वर नमः
- ॐ भूतेश्वर नमः
- ॐ बैजूनाथ नमः
- ॐ नागेश्वर नम
प्रदोष व्रत की पूजा विधि |
प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. फिर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए. फिर पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए. भगवान शिव को पूजा के समय बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगाजल चढ़ाना चाहिए. ये व्रत निर्जला या फलाहारी भोजन के साथ रखा जाता है. व्रत के दिन शाम के समय दोबारा से स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद गाय के गोबर से एक मंडप तैयार करना चाहिए.
मंडप पर उत्तर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके कुशा के आसन पर बैठना चाहिए. इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करके उन्हें जल चढ़ाना चाहिए. जल चढ़ाने के बाद फिर प्रदोष व्रत की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. व्रत की कथा पढ़ने के बाद शिवजी आरती करनी चाहिए. शाम की पूजा के बाद या अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए.