चिड़ावा।संजय दाधीच
राम मंदिर तो बहुत हैं। लेकिन चिड़ावा का राम मंदिर सबसे अद्भुत है। जिसको महंत रहे गौलोकवासी केवलदास बाबा के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का पुख्ता इतिहास तो किसी को नहीं पता लेकिन वर्तमान महंत जयराम स्वामी ने बताया कि पूर्व महंतों के बताए अनुसार सबसे पहले यहां तकरीबन 250 साल से भी अधिक समय पहले यहां डालमिया परिवार ने मंदिर परिसर में सभा मंडप और तिबारा निर्माण कर भगवान राम, जानकी और लक्ष्मण जी के साथ ही हनुमान जी के विग्रह स्थापित किए। लेकिन उस समय भी यहां शिवालय स्थापित था। शिवालय उससे भी काफी पहले संत-महात्माओं ने तप करने के दौरान यहां स्थापित किया बताते हैं।
मूंछों वाले राम-लक्ष्मण की नयनाभिराम छवि
मंदिर परिसर में सबसे अद्भुत और आश्चर्यजनक नजारा सभा मंडप में विराजे राम-लक्ष्मण की मूर्तियों में दिखता है। यहां भगवान राम और लक्ष्मण के मूंछें हैं। मूंछों में भगवान का स्वरूप काफी अद्भुत और मनोरम लगता है। हालांकि मूर्तियों के मूंछों के पीछे क्या कहानी रही है, इसकी कोई जानकारी नहीं लगी है। लेकिन इसके पीछे कुछ वजह रही होगी।
यहां विराजे हैं दक्षिण मुखी हनुमान
वहीं इस मंदिर की सबसे विशेष बात ये है कि भगवान के सभा मंडप में बिल्कुल सामने मंदिर के चौक के मध्य में मंडप में हनुमान जी महाराज की तीन मूर्तियां विराजित हैं। खास बात ये है कि यहां हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा में राम दरबार की ओर है। ऐसे में दक्षिण मुखी हनुमान के पूजन का विशेष महत्व है जिसके चलते राम और राम भक्त हनुमान के दर्शनों को बड़ी संख्या श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं।
मंदिर का हुआ पुनर्निर्माण
1994 में बालकृष्ण अडूकिया ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। मंदिर में स्थापत्य कला का नजारा देखने को मिलता है। यहां सभा मंडप और मंदिर के चौक से अंदर आने वाले द्वार की छटा निराली है। भगवान के सभा मंडप में गर्भगृह के एक तरफ हनुमान जी और दूसरी तरफ राम दरबार की मन मोहक तस्वीर नीलकंठ पुजारी द्वारा बनाई गई है।