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राजस्थान में सरकार के इशारे में नाचने वाले आईएएस और आईपीएस सावधान हो जाएं, चुनाव आयोग ने एक कलेक्टर और तीन एसपी को हटाया। इनमें एक एसपी मंत्री का दामाद है; अब मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती। मीडिया और राजनीतिक दलों पर है।

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चुनाव आयोग ने 11 अक्टूबर को राजस्थान के अलवर जिले के कलेक्टर पुखराज सेन तथा भिवाड़ी के एसपी करण शर्मा, चूरू के एसपी राजेश मीणा और हनुमानगढ़ के एसपी सुधीर चौधरी को हटा दिया है। सुधीर चौधरी प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के दामाद हैं। यह सही है कि प्रशासनिक तंत्र आमतौर पर सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर काम करता है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को किस तरह इस्तेमाल किया उसे प्रदेश की जनता अच्छी तरह देखा है। जो अधिकारी भरपूर तरीके से इस्तेमाल हुए उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद लाभ के पद भी मिले। अधिकारियों का इस्तेमाल हर राजनीतिक दल की सरकार करती है, लेकिन अशोक गहलोत ने कुछ ज्यादा ही किया। जो अधिकारी अब तक सरकार के इशारे पर नाचते रहे, उन्हें अब सावधान हो जाना चाहिए। 9 अक्टूबर को आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के बाद प्रशासनिक नियंत्रण चुनाव आयोग के अधीन हो गया है। जिन चार बड़े अधिकारियों को शिकायत के आधार पर हटाया गया, उस में सीएम गहलोत का कोई योगदान नहीं है। यह कार्यवाही सीधे तौर पर चुनाव आयोग ने की है।

यदि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने अपनी कार्यशैली में बदलाव नहीं किया तो आने वाले दिनों में ऐसे अधिकारियों को भी हटाया जाएगा। केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजस्थान में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर प्रवीण गुप्ता को नियुक्त कर रखा है। प्रशासनिक क्षेत्र में प्रवीण गुप्ता को एक सख्त छवि का अधिकारी माना जाता है। गुप्ता का प्रयास होगा कि राजस्थान में प्रशासनिक तंत्र निष्पक्षता के साथ चुनाव कराएं। प्रदेश में नियुक्त अधिकारियों को यह समझ लेना चाहिए कि प्रवीण गुप्ता के माध्यम से ही शिकायत चुनाव आयोग तक पहुंचती है। कहा जा सकता है कि आज सबसे बड़े और प्रभावी अधिकारी प्रवीण गुप्ता ही है7 यह सही है कि इस समय अधिकांश कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, डीएसपी, तहसीलदार जैसे अधिकारी किसी न किसी विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री की सिफारिश से नियुक्त हुए हैं। अपने पसंदीदा अधिकारी को नेताओं ने इसलिए नियुक्त करवाया ताकि चुनाव में फायदा उठाया जा सके। ऐसे अधिकारियों को हनुमानगढ़ के एसपी सुधीर चौधरी पर हुई कार्यवाही से सबक लेना चाहिए। कृषि मंत्री का दामाद होने के बाद भी चौधरी को पुलिस अधीक्षक के पद से हटना पड़ा है। चुनाव आयोग चाहता है कि मतदान निष्पक्षता के साथ हो। आयोग ने शिकायत आमंत्रित करने के लिए अपनी वेबसाइट और वाट्सएप नंबर भी जारी कर रखे हैं। शिकायत कैसे दर्ज कराई जाए इसकी जानकारी कोई भी व्यक्ति अपने निकटतम निर्वाचन अधिकारी से प्राप्त कर सकता है।

मतदान प्रतिशत बढ़ाए:
चुनाव आयोग ने राजस्थान में मतदान की तिथि 25 नवंबर कर दी है। पहले यह तिथि 23 नवंबर की थी। मीडिया और राजनीतिक दलों ने कहा कि 23 नवंबर को कार्तिक माह की देवउठनी ग्यारस है, इसलिए मतदान की तिथि में बदलाव किया जाए। राजस्थान की सामाजिक और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हुए आयोग ने मतदान के लिए 25 नवंबर का दिन निर्धारित कर दिया है, अब राजनीतिक दलों और मीडिया की जिम्मेदारी है कि वे विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाए। 23 नवंबर के लिए कहा गया कि यदि इस दिन मतदान होता है तो शादी ब्याह और तीर्थ स्थलों पर स्नान के कारण मतदान का प्रतिशत गिरेगा। आयोग ने मतदान का प्रतिशत गिरने का कारण समाप्त कर दिया है। इसलिए अब 25 नवंबर को मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और मीडिया की है। दैनिक भास्कर का दावा है कि तारीख बदलने के लिए अखबार में जो खबर छपी है उसी के कारण चुनाव आयोग को अपना निर्णय बदलना पड़ा। आयोग ने तारीख बदलने की सूचना भास्कर को ईमेल पर भी दी है। अब जब भास्कर अखबार श्रेय ले रहा है तो उसे मतदान प्रतिशत बढ़ाने का अभियान भी चलाना चाहिए। यदि भास्कर की खबर पर तारीख बदली है तो इसके लिए भास्कर भी साधुवाद का पात्र है। यह बात अलग है कि 10 अक्टूबर को फर्स्ट इंडिया अंग्रेजी अखबार सहित सभी ने चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया था।

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