हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न करने और आशीर्वाद पाने के लिए बहुत ही उत्तम दिन माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा को सभी देवी-देवता धरती पर आते हैं और गंगा घाट पर दिवाली मनाते हैं. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था. जिसकी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन स्नान दान करने के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
कार्तिक पूर्णिमा तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगी. वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 16 नवंबर सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर होगा. ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी.
देव दीपावली प्रदोष काल शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, देव दीपावली पर प्रदोष काल मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. ऐसे में पूजा के लिए कुल 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें, घर की साफ-सफाई करें. उसके बाद स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें, यदि संभव हो तो इस पवित्र नदी में स्नान करें. उसके बाद एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. भगवान विष्णु जी को गंध, पुष्प, फल, फूल और वस्त्र अर्पित करें. मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं. दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें. देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और विष्णु जी के मंत्रों का जप करें. व्रत कथा का पाठ करें. उसके बाद गरीब लोगों में दान करना शुभ माना जाता है.
देव दीपावली प्रदोष काल शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, देव दीपावली पर प्रदोष काल मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. ऐसे में पूजा के लिए कुल 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा.