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समरावता कांड हाईकोर्ट से मिली 39 आरोपियों को जमानत, नरेश मीणा पर बड़ा ट्विस्ट

टोंक। रिपोर्ट टाइम्स।

राजस्थान की राजनीति में समरावता कांड को लेकर एक नया राजनीतिक मोड़ आ सकता है। नरेश मीणा की गिरफ्तारी और उनकी जमानत को लेकर उठ रहे सवालों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सवाल यह है कि क्या सरकार नरेश मीणा की गिरफ्तारी को लंबे समय तक बनाए रखना चाहती है ताकि चुनाव में हुई धांधली का खुलासा न हो सके? या फिर सरकार नरेश मीणा को एक जन नेता के रूप में स्थापित करना चाहती है, जिससे भाजपा के किरोड़ी लाल मीणा के जनाधार को विभाजित किया जा सके?

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने समरावता कांड के 39 आरोपियों को राहत देते हुए उनकी जमानत याचिका मंजूर की, और अब यह आरोपियों को जल्द ही टोंक जेल से रिहा किया जाएगा। यह निर्णय न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी एक अहम मोड़ लेकर आ सकता है। क्या इस फैसले के बाद नरेश मीणा को जमानत मिलती है, और अगर मिलती है तो चुनावी राजनीति में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? यह सवाल अब राज्य की राजनीति में एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।

 

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश की जमानत पर सुनवाई बाकी

हालांकि, समरावता कांड में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना समेत शेष अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर अभी सुनवाई बाकी है। इन आरोपियों को भी जल्द जमानत मिलने की संभावना जताई जा रही है, और इसके बाद समरावता कांड में सजा या रिहाई का अगला दौर सामने आ सकता है।

एडवोकेट महेंद्र शांडिल्य अन्य की पैरवी

समरावता कांड के आरोपियों की जमानत याचिका पर पैरवी करने वाले वकीलों में एडवोकेट महेंद्र शांडिल्य, राजेंद्र सिंह तंवर, डॉ. महेश शर्मा और कपिल गुप्ता शामिल थे। उनकी कड़ी मेहनत और कानून के प्रति समझ से आरोपियों को राहत मिली। वहीं, न्यायमूर्ति प्रवीर भटनागर की बेंच ने अपनी सुनवाई के बाद इन आरोपियों की जमानत मंजूर की।

6 दिसंबर को जमानत याचिकाओं का खारिज होनाBH

जमानत पाने वालों में ब्रह्मराज, सुरेश, लवकुश, विमल, टीकाराम, बलराम, उग्रसेन, जसराम, हेतराम, उदयसिंह, कालूराम, गुल मोहम्मद, मनोज कुमार, सुदामा, खुशीराम, रामेश्वर, आत्माराम, रामराज, योगेंद्र, नेतराम, विजेंद्र, हनुमान, दिलखुश, मनीष, कमलेश, राकेश, खुशीराम-2, देशराज, भागीरथ, आत्माराम-2, बबलेश, महावीर, रवि, खेलताराम, आत्माराम-3, खेलताराम-2, राजेश और बुद्धीराम शामिल हैं।

समरावता कांड का घटनाक्रम

समरावता कांड 13 नवंबर 2024 को हुआ था, जब टोंक जिले के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के दौरान एक विवाद ने जन्म लिया। यह विवाद एसडीएम और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना के बीच हुआ, जो बाद में हिंसा में बदल गया। इस घटना के बाद पुलिस ने 81 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें 38 आरोपी अब जमानत पर रिहा हो रहे हैं।

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