रिपोर्ट टाइम्स।
हिंदू धर्म में फुलेरा दूज जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. फुलेरा दूज के त्योहार को प्रेम का प्रतीक माना जाता है. मथुरा, वृंदावन समेत पूरे ब्रज क्षेत्र में ये त्योहार बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ये त्योहार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि फुलेरा दूज को भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ फूलों से होली खेली थी. इसलिए इस दिन फूलों वाली होली मनाई जाती है.
फुलेरा दूज के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है. फुलेरा दूज के दिन को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है. मतलब इस दिन किसी भी शुभ काम को करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती. इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में इस दिन के कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन अवश्य करना चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए.
कब है फुलेरा दूज ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 1 मार्च दिन शनिवार को सुबह 3 बजकर 16 मिनट पर हो रही है. इस तिथि का समापन 2 मार्च दिन रविवार को देर रात 12 बजकर 9 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 1 मार्च दिन शनिवार को ही फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा.
करें ये काम
- फूलेरा दूज के दिन विधि पूर्वक भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करनी चाहिए.
- इस दिन रंग-बिरंगे वस्त्र भगवान कृष्ण को पहनाने चाहिए.
- भगवान को पूजा के समय अक्षत और दूर्वा चढ़ाना चाहिए.
- भगवान को ताजे धोए हुए फूल अर्पित करने चाहिए.
- भगवान को फूल, फल, मिठाई, माखन और मिश्री का भोग लगाना चाहिए.
- राधा रानी को श्रृंगार का सामान अवश्य चढ़ाना चाहिए.
- पूजा के बाद श्रीकृष्ण और राधा रानी को अबीर और गुलाल अर्पित करना चाहिए.
- गाय को भोजन कराना चाहिए.
न करें ये काम
- फूलेरा दूज के दिन तामसिक भोजन, मसांहार और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
- ध्यान रहे कि जो गुलाल श्रीकृष्ण को चढ़ाया गया है वो पैरों के नीचे नहीं आना चाहिए.
- ये दिन प्रेम का प्रतीक है. इसलिए इस दिन किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए.
- किसी को अपशब्द नहीं बोलने चाहिए.
- इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजन करना नहीं भूलना चाहिए.