REPORT TIMES : केंद्र सरकार ने देश की आगामी जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करने का फैसला लिया है. इसे गेम चेंजर और आंखें खोलने वाला कदम बताते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इससे लोगों की आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति मिलेगी. ये बात उन्होंने दिल्ली में भारतीय सांख्यिकी सेवा के 2024 और 2025 बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही. उपराष्ट्रपति के अनुसार, यह फैसला 1931 के बाद पहली बार जातिगत आंकड़ों के पुनर्संग्रह की ओर एक महत्वपूर्ण पहल है. उन्होंने कहा, नीतिगत योजना के लिए सटीक आंकड़े जरूरी हैं. बिना ठोस डेटा के योजना बनाना अंधेरे में सर्जरी करने जैसा है. जाति आधारित गणना सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेगी.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सांख्यिकी अधिकारियों को संबोधित करते हुए उनकी भूमिका को निर्णायक बताया. उन्होंने कहा कि जातिगत आंकड़े अगर विचारपूर्वक एकत्र किए जाएं तो वे समाज को विभाजित नहीं बल्कि एकीकृत कर सकते हैं. जैसे एमआरआई शरीर की संपूर्ण स्थिति बताता है, वैसे ही यह डेटा सामाजिक संरचना की स्पष्ट तस्वीर देगा. 1931 के बाद पहली बार जातिगत गणना की जाएगी. यह ऐतिहासिक कदम होगा.