चिड़ावा। ये है प्राचीन चौरासियों का मंदिर और इस मंदिर में डूंगरमल केडिया द्वारा करीब 150 साल से अधिक समय पहले इस शिवालय का निर्माण कराया गया। ये शिवालय चिड़ावा के नगरदेव बावलिया बाबा की साधना स्थली रहा है।
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परमहंस पं.गणेशनारायण बावलिया बाबा का चिड़ावा में अधिकतर समय इसी शिवालय में व्यतीत हुआ। और बाबा ने अपनी अन्तिम साँस भी इसी शिवालय में ली थी। यहीं से बाबा की बैकुण्ठी निकाली गई थी।इस शिवालय की खास बात ये भी है कि यहां पर परमहंस पं. गणेशनारायण बावलिया बाबा की मूर्ति भी विराजित है। वहीं शिवालय में शिव परिवार के अलावा मां भगवती दुर्गा की मूर्ति भी स्थापित है। वहीं बावलिया बाबा की मूर्ति के बिल्कुल सामने उनकी मार्गदर्शक रही मां भवानी की उकेरी हुई तस्वीर लगी हुई है। उसी तस्वीर के पास है शिवालय से भी पुराना धाबाई परिवार द्वारा बनवाया गया सीताराम जी का मंदिर। इस मंदिर में सीताराम जी के अलावा हनुमानजी महाराज भी विराजते हैं। खास बात ये है कि इस मंदिर में वैसे तो प्रतिदिन श्रद्धालु दर्शनों को आते हैं । लेकिन हर गुरुवार को समाधि स्थल की भांति ही काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों को बाबा के दरबार मे आते हैं। फिलहाल कॉरोना संक्रमण काल के चलते यहां भी भगवान के पास जाकर दर्शन पर पाबंदी है। ऐसे में काफी कम संख्या में श्रद्धालु आ रहे है और जो श्रद्धालु आ रहे है वे भी चैनल गेट से ही दर्शन कर रहे है श्रद्धा और आस्था का ज्वार यहां खूब उमड़ता है। आप भी यहां एक बार अवश्य पधारें। हमें दीजिए इजाजत, कल फिर मिलेंगे एक और प्राचीन शिवालय में। हर हर महादेव