चिड़ावा यानी शिवनगरी के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं चिड़ावा पुलिस थाने के सामने बने गढ़ वाले बालाजी मंदिर में।
मन्दिर की पूरी वीडियो स्टोरी देखने के लिए नीचे दी गई तस्वीर पर क्लिक करें-
https://youtu.be/U4I1vvb8Yh4
इस मंदिर के निर्माण की कहानी काफी रोचक है। यहां गढ़ बनाया गया और इस गढ़ के बिल्कुल सामने विक्रमी संवत 1800 में खेतड़ी ठिकाने के ठाकुर किशनसिंह ने कुएं का निर्माण करवाया। इसी कुएं की खुदाई के दौरान बालाजी की स्वयंभू मूर्ति निकली। ठाकुर किशनसिंह ने एक तिबारे का निर्माण कराकर बालाजी महाराज को विराजित कराया गया। यहां एक संगमरमर की मूर्ति भी साथ में विराजित कराई गई। बताया जाता है कि खेतड़ी ठिकाने के झंडे में भी बालाजी महाराज की तस्वीर भी मन्दिर बनने के बाद अंकित की जाने लगी। करीब सवा सौ साल तक नीचे तिबारे में ही बालाजी की मूर्तियां विराजित रहीं। वहीं उसके बाद पंसारी परिवार में हनुमान प्रसाद पंसारी की तबियत खराब होने पर उनके माता-पिता ने बालाजी से मन्नत मांगी। हनुमान प्रसाद के ठीक होने पर उनके परिजनों ने यहां ऊपर का वर्तमान मन्दिर बनवाया और इसमें बालाजी महाराज को विधिपूर्वक विराजित कराया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने यहां बरामदा निर्माण कराया। बरामदे में आप देख रहे हैं कि रामायण की चौपाइयों के साथ ही प्रसंग से जुड़ी तस्वीर भी चारों तरफ बनाई गई है। बरामदे के बिल्कुल बाहर कुएं के पास बना है शिवालय इस शिवालय की स्थापना तकरीबन 38-39 साल पहले हुई बताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार जन सहयोग से स्थापित शिवालय में पूरे शिव परिवार की स्थापना विधिविधान से नामी पण्डित आचार्य बलजी तामड़ायत के आचार्यत्व में पूजन के साथ की गई। इसमें यजमान के रूप में उस समय के एसपी मदनलाल शर्मा भी मौजूद रहे। मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शनों को नियमित यहां आते हैं। आपको भी यहां जरूर आना चाहिए। आस्था की इस दर पर श्रद्धालुओं का विश्वास दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। अब दीजिए हमें इजाजत..कल फिर मिलेंगे एक और देवालय में..हर हर महादेव..