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हिजाब विवाद में जायरा वसीम ने दिया ये बयान, कहा इस्लाम में है एक दायित्व

ज़ायरा वसीम कर्नाटक में चल रहे हिजाब टकराव के बारे में बात करने वाली नवीनतम हस्ती हैं. दंगल अभिनेत्री ने शनिवार 19 फरवरी को इंस्टाग्राम पर कर्नाटक के विद्यालयों और कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध की निंदा करते हुए एक लंबा नोट साझा किया. ज़ायरा ने हिजाब को भगवान के लिए एक दायित्व बताते हुए कहा, “मैं एक महिला के रूप में, कृतज्ञता और विनम्रता के साथ हिजाब पहनती हूं, इस पूरी व्यवस्था का विरोध करती है, जहां स्त्रीओं को सिर्फ एक धार्मिक प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए रोका और परेशान किया जा रहा है.
ज़ायरा वसीम कहती हैं, मैं विनम्रता के साथ हिजाब पहनती हूँ
ज़ायरा वसीम ने 2019 में बॉलीवुड छोड़ दिया था. अब दंगल अभिनेत्री धीरे-धीरे इंस्टाग्राम पर वापस आ रही है. फोटो-शेयरिंग ऐप पर हाल ही में एक पोस्ट में, ज़ायरा ने कर्नाटक हिजाब पंक्ति के बारे में बात की. ज़ायरा ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा, विस्तृत नोट साझा किया जिसमें उन्होंने हिजाब पर प्रतिबंध और कर्नाटक में कई विद्यार्थीों को होने वाले उत्पीड़न की आलोचना की. ज़ायरा अपने नोट में लिखती हैं, “हिजाब को पसंद करने की विरासत में मिली धारणा एक गलत सूचना है. इससे अक्सर सुविधा या अज्ञानता का निर्माण होता है. हिजाब इस्लाम में एक विकल्प नहीं बल्कि एक दायित्व है. इसी तरह एक महिला जो पहनती है हिजाब उस भगवान द्वारा दिए गए एक दायित्व को पूरा कर रहा है जिसे वह प्यार करती है और स्वयं को अल्लह में समर्पित करती हैं.
महिला सशक्तिकरण के नाम पर हिजाब पर प्रतिबंध
वह आगे लिखती हैं, “मैं एक महिला के रूप में जो कृतज्ञता और विनम्रता के साथ हिजाब पहनती हूं, मैं इस पूरी व्यवस्था का विरोध करती हूं जहां स्त्रीओं को एक धार्मिक प्रतिबद्धता करने के लिए रोका और परेशान किया जा रहा है.” यह कहते हुए कि मुसलमान स्त्रीओं को शिक्षा और हिजाब के बीच चयन करना अन्यायपूर्ण है, उन्होंने कहा, “मुसलमान स्त्रीओं के विरूद्ध इस पूर्वाग्रह को ढेर करना और ऐसी व्यवस्था स्थापित करना जहां उन्हें शिक्षा और हिजाब के बीच फैसला करना चाहिए या छोड़ देना एक पूर्ण अन्याय है. आप उन्हें एक बहुत विशिष्ट विकल्प बनाने के लिए विवश करने का कोशिश करना जो आपके एजेंडे को खिलाता है और फिर उनकी आलोचना करते हुए जब वे आपके द्वारा बनाई गई वस्तुों में कैद हैं. उन्हें अलग तरीके से चुनने के लिए प्रोत्साभलाई करने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है. यह पूर्वाग्रह नहीं तो क्या है जो लोग इसकी पुष्टि करते हैं, वे इसके समर्थन में कार्य कर रहे हैं?” जायरा वसीम ने यह भी कहा कि यह दुखद है कि यह सब ‘सशक्तिकरण के नाम पर’ किया जा रहा है. इन सबसे ऊपर, एक मुखौटा बनाना कि यह सब सशक्तिकरण के नाम पर किया जा रहा है, और भी बुरा है जब यह एकदम उल्टा है.
हिजाब पंक्ति क्या है?
हिजाब टकराव 1 जनवरी को तब शुरू हुआ जब उडुपी के सरकार पीयू कॉलेज में छह मुसलमान विद्यार्थीाओं ने दावा किया कि उन्हें हिजाब में कॉलेज परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. कॉलेज के अधिकारियों के विरूद्ध एक विरोध शुरू हुआ, और पिछले महीने में, यह पूरे कर्नाटक प्रदेश में एक पूर्ण टकराव में बदल गया.
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