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धमाकों के बीच हैं हम, कैसे ढूंढे सुरक्षित जगह यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स का छलका दर्द

प्रातः काल से ही धमाकों की आवाज सुनाई दे रही है. हर स्थान पैनिक है. हम तीन दोस्त एक ही घर में शिफ्ट हो गए हैं… डरे हुए हैं. किसी तरह बाहर जाकर खाने-पीने का सामान लेने गए, उसी समय बॉम्बिंग की आवाज सुनाई दी, उस समय सड़क पर हर एक शख्स दहल गया, हर कोई चौंक कर थम सा गया. यहां मार्शल लॉ लग चुका है, हमारी पढ़ाई भी बंद हो चुकी है.’ यूक्रेन में युद्ध संकट के बीच राजधानी किएव में रह रहे मेडिकल स्टूडेंट सुमित सुमन की यह कठिनाई हर उस स्टूडेंट की कठिनाई

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बयां कर रही है, जो अपने राष्ट्र से युक्रेन पढ़ने गए हैं.भारतीय एंबेसी के बाहर गुरुवार प्रातः काल से लोगों की भीड़ जमा रही, जिसमें अधिकतर स्टूडेंट्स थे. कई लोगों की फ्लाइट बुक थी मगर आकस्मित उड़ानें रोक दी गईं. एंबेसी के बाहर सर्द मौसम में घंटों स्टूडेंट्स खड़े रहे, बैठने तक का व्यवस्था नहीं था. तीन से दस गुना महंगी फ्लाइट के लिए हमारा पास पैसे नहीं हैं, यही कई स्टूडेंट्स का कहना था. भारतीय एंबेसी ने स्टूडेंट्स से अपील की है कि वे पैनिक ना हों और जहां साइरन बज रहे हैं, वहां बॉम्ब शेल्टर में जाएं. मगर स्टूडेंट्स का कहना है, पैनिक कैसे ना हों! युक्रेन के अंरेट भी कई स्थान ट्रांसपोर्ट लगभग बंद है, ऐसे में वे एक इलाके से दूसरे सेफ इलाके में नहीं जा पा रहे हैं.

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‘धमाकों का वाइब्रेशन तक हुआ महसूस’

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खारकिव में रह रहे ओडिशा के स्टूडेंट अश्विन धमाकों से डरे हुए हैं. वह कहते हैं, यह बॉर्डर ही है, यहां बॉम्बिंग हुई है. प्रातः काल 5 बजे धमाकों की आवाज आ रही है. हम वाइब्रेशन तक महसूस कर सकते हैं. मैं चाहता हूं कि पहले युक्रेन में ही मैं एक सुरक्षित स्थान में जा सकूं और फिर हिंदुस्तान लौटूं. मगर ट्रेन, बस, कैब पूरा ट्रांसपोर्ट ठप है, हम बस साइरन की आवाज सुन रहे हैं. एंबेसी कह रही है सेफ स्थान जाएं, मगर कैसे! खारकिव नैशनल मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट अश्विन कहते हैं, साफतौर पर युक्रेन गवर्नमेंट और एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के बीच कम्यूनिकेशन नहीं हुआ वरना हम सब पहले ही अपने राष्ट्र लौट जाते. कल तक हमारी ऑफलाइन क्लासेज हुई हैं और आज हमें औनलाइन क्लासेज के लिए कह दिया गया है.

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अधिकतर वे फंसे हैं, जिनके पास पैसों की परेशानी

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गुड़गांव के सुमित सुमन किएव में फंसे हैं. बोगोमोलेट्स कॉलेज के मेडिकल स्टूडेंट सुमन कहते हैं, मुझे इंडिया वापस जाना था मगर अब फ्लाइट्स भी बंद हैं. वे हैं भी इतनी महंगी कि हर एक की पॉकेट के बस में नहीं. जो फ्लाइट मैं 18 से 20 हजार में करता था वो 60 हजार से 1 लाख की हो गई है. यहां कई एटीएम में अब पैसा भी नहीं है… एटीएम, मार्ट में लोगों की लाइनें लगी. मेट्रो भी बंद है. कैब का दर 10 गुना हो गया है. बस कुछ बसें चल रही हैं. मिलिट्री नजर आ रही है. एडवाइजरी भी इनकमी है कि बाहर ना निकलें. मेरा एक दोस्त नोएडा और एक बिहार से है, हम सब एक ही स्थान आ गए हैं. हम जल्द हिंदुस्तान लौटना चाहते हैं. गवर्नमेंट को यह ध्यान देना जरूरी है कि अधिकतर वे स्टूडेंट्स यहां फंसे हैं जिनके पास महंगी फ्लाइट के लिए पैसे नहीं है. एयर इंडिया का ही फ्लाइट टिकट 60 हजार रुपये है.

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‘पैरंट्स फोन पर रो रहे हैं’

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इवानो फ्रैंकिवस्क में रह रहीं हिंदुस्तानीय मेडिकल स्टूडेंट अंकिता शाही कहती हैं, मेरे पैरंट्स प्रातः काल से फोन पर रो रहे हैं. युक्रेन में कोई स्थान सेफ नहीं. मैं अपार्टमेंट में रहती हूं, आसपास मेरे और चार साथी रहते थे. पटना की अंकिता कहती हैं, हम सब हिंदुस्तान लौटना चाहते हैं. मेरे पास पैसे भी ज्यादा नहीं है, फूड सप्लाई की कमी है. हमें नहीं मालूम यह स्थिति कब तक रहेगी. मैं 1 मार्च की फ्लाइट बुक करने वाली ही थी कि वॉर की समाचार आ गई. युक्रेन में राजस्थान से पढ़ने गए मेडिकल के सेकंड ईयर स्टूडेंट आदेश दोसी सेकंड ईयर मेडिकल स्टूडेंट हैं. वह कहते हैं, प्रातः काल से मेरे परिवार वालों के कॉल्स आ रहे हैं, वे बहुत परेशान हैं. मगर मैं युक्रेन के वेस्टर्न पार्ट में हूं जो अभी सेफ है. बाकी स्टूडेंट्स भी चाहते हें कि वे इस एरिया में आ जाएं, जब तक राष्ट्र नहीं लौटते. मगर ट्रेन, बस, कैब सबका ऑपरेशन भी रुका है. मेरा वापस आने के लिए टिकट हो चुका था मगर अब एयर रुट ही बंद कर दिया गया है, इसलिए भारतीय एंबेसी के उत्तर के इन्तजार में हूं.

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