राष्ट्र के पांच प्रदेशों में विधानसभा चुनावों के अगले हफ्ते खत्म होने के साथ ही पेट्भूमिका और डीजल के दाम बढ़ने शुरू हो सकते हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे ऑयल की मूल्य 100 $ प्रति बैरल से अधिक हो चुकी है.
इससे ऑयल कंपनियों को सामान्य मार्जिन हासिल करने को लेकर पेट्भूमिका-डीजल के दाम में नौ रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है.
रूस से ऑयल की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे ऑयल का दाम 2014 के बाद पहली बार 110 $ प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गए.
पेट्भूमिकाियम मंत्रालय के भीतर आने वाले पेट्भूमिकाियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार, हिंदुस्तान जो कच्चा ऑयल खरीदता है उसके दाम एक मार्च को 102 $ प्रति बैरल से अधिक हो गए.
ईंधन का यह मूल्य अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं. पिछले वर्ष नवंबर की आरंभ में जब पेट्भूमिका और डीजल की मूल्यों में वृद्धि पर लगाम लगी थी, तब कच्चे ऑयल की औसत मूल्य 81.5 $ प्रति बैरल थी.
ब्रोकरेज कंपनी जे।पी। मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘अगले हफ्ते तक प्रदेशों के विधानसभा चुनाव खत्म हो जाएंगे. अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की रेटें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं.’’ यूपी मे सातवें और आखिरी चरण का मतदान सात मार्च को होगा तथा यूपी समेत सभी पांच प्रदेशों के लिए मतगणना 10 मार्च को होनी है.
कच्चे ऑयल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल कंपनियां भारतीय ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्भूमिकाियम और भारत पेट्भूमिकाियम को पेट्भूमिका और डीजल पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है.
जे।पी। मॉर्गन के अनुसार ऑयल विपणन कंपनियों को सामान्य विपणन मुनाफा प्राप्त करने के लिए खुरेटा मूल्यों में 9 रुपये प्रति लीटर या 10 फीसदी की वृद्धि करने की आवश्यकता है. घरेलू स्तर पर ईंधन की मूल्यों में लगातार 118 दिन से कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.