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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई, 2014 को जब पहली बार केंद्र की सत्ता संभाली थी तब देश निराशा के वातावरण से गुजर रहा था। भ्रष्टाचार चरम पर था। सामान्य जनमानस के मन में यह भाव था कि अब इस देश का कुछ नहीं हो सकता। आज यह गर्व की बात है कि मोदी सरकार में बीते आठ वर्षों में एक भी घोटाला नहीं हुआ। यह इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने संसद को लोकतंत्र का मंदिर माना और देश की देवतुल्य 135 करोड़ जनता के सामने प्रण लिया कि ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा।’ मोदी सरकार के सामने विश्व गुरु भारत का लक्ष्य है। यह लक्ष्य जनभागीदारी से ही पूर्ण होगा। अब देश के सामान्य नागरिक की बुनियादी जरूरत सिर्फ रोटी, कपड़ा और मकान नहीं हो सकती। 21वीं सदी में इन सबके अलावा कनेक्टिविटी चाहिए, अच्छी शिक्षा चाहिए, चिकित्सा सुविधा चाहिए, पीने का स्वच्छ जल चाहिए, बिजली चाहिए, इंटरनेट चाहिए, शौचालय चाहिए, सुरक्षा चाहिए, सम्मान चाहिए और विकास में भागीदार बनने के नए अवसर चाहिए। इसी लक्ष्य को पाने के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के सोच को केंद्र में रखकर मोदी सरकार ने अपनी यात्रा की शुरुआत की।