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शिवनगरी के शिवालयों की श्रृंखला में आज हम पहुंचे हैं शहर के प्रसिद्ध टिल्ली मंदिर में।राजकला कॉम्प्लेक्स के पीछे से जाने वाले रास्ते पर बने टिल्ली मन्दिर की स्थापना करीब 275 साल पुरानी मानी जाती है। मन्दिर प्रबन्धक व पुजारी मोहनलाल बसावतिया ने बताया कि पहले इस स्थान पर साधु-संत रहते थे। उन्हीं सन्तों ने यहां इस मंदिर की स्थापना की। इसका हस्त लिखित उल्लेख एक पुस्तक में मिला है। यहां मंदिर का जीर्णोद्धार करीब 75 साल पहले कुएं निर्माण के दौरान डालमिया परिवार ने करवाया। टिल्ली मन्दिर में प्रवेश करते ही मुख्य द्वार से थोड़ा आगे चलते ही बना है एक देवरा।
इसमें हनुमान जी की दो मूर्तियां विराजित हैं। वहीं इस देवरे के बिल्कुल पीछे बना है शिवालय। शिवालय में कुछ सीढियां नीचे उतरने पर विराजा है शिवलिंग। यहां की खास बात ये है कि यहां दो नन्दी विराजित हैं।
वहीं आप देखिए यहां दो गणेश भी विराजे हैं, साथ ही माता पार्वती के भी दो विग्रह यहां स्थापित किए हुए हैं। कार्तिकेय भी यहां विराजे हैं। इस शिवालय से बाहर निकलकर आगे जाने पर अंदर के परिसर में बना है मुख्य सभामण्डप। इसी सभा मण्डप में बने गर्भगृह में विराजे हैं श्रीराम और जानकी। खास बात ये है कि यहां पर बाल गोपाल के विग्रह भी विराजे हैं। ऐसे में यहां राम के साथ ही कृष्ण जन्म के उत्सव भी मनाए जाते हैं। ऐसा अद्भुत संयोग यहीं पर देखने को मिला है। गर्भगृह के बिल्कुल सामने चौक में बने मन्दिर में विराजे हैं वीर हनुमान। हनुमानजी के दो विग्रह यहां विराजित हैं। इस अनूठे देवालय में एक बार जरूर पधारें और दिव्य दर्शन कर पुण्य कमाएं। अब दीजिए हमें इजाजत…कल फिर मिलेंगे…एक और देवालय में…हर हर महादेव