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शिवनगरी के शिवालय की श्रृंखला में आज हम आपको दर्शन करा रहे हैं। संतों की तपोस्थली रही भगिनिया जोहड़ में प्राचीन कुएं पर स्थापित इस बलुआ पत्थर से निर्मित शिवलिंग करीब 150 साल पुराना बताया जाता है। वहीं मिली जानकारी के अनुसार इस शिवालय में परमहंस पं.गणेश नारायण बावलिया बाबा, महाली-बलजी तामड़ायत सहित चिड़ावा नगर के पूर्वज विद्वतजन पूजन करते थे।इस शिवालय की खास बात ये है कि इसके बिल्कुल सामने दुर्गा भवानी का मंदिर है और इन दो मंदिरों के बीच में शिवालय की तरफ मुख किए हुए लगी है बावलिया बाबा की विशाल प्रतिमा।
वहीं एक तरफ प्राचीन जोहड़ और बिरला द्वारा बनवाया गया गणेश घाट है, जहां से बावलिया बाबा ने पिलानी को निहारा था। वहीं दूसरी तरफ शंकर भगवान की प्रतिमा और एक ओर शिवालय खुले आसमान के नीचे स्थित है।
थोड़ा आगे प्राचीन शिवालय की तरफ चलने पर प्राचीन बगीची है। जिसमें बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित है। जहां गद्दी पर फिलहाल रामसेवक दास विराजित हैंम वहीं पूर्वज संतों का समाधि स्थल शिवालय की एक तरफ स्थित है। इस पवित्र और ऐतिहासिक शिवालय का दर्शन कर काफी सकून और शांति का अहसास होता है। एक बार अवश्य यहां पधारिए। कल फिर मिलेंगे एक और नए शिवालय में….हर हर महादेव