REPORT TIMES
उदयपुर मर्डर के बाद गहलोत सरकार ने राजस्थान में इंटरनेट बैन कर दिया है। ये डिजिटल इमरजेंसी है। 1975 में इंदिरा गांधी सरकार से अलग, पर मौलिक अधिकार तो छीना ही गया है। 1975 में कोई सरकार के खिलाफ न कुछ बोल सकता था, न लिख सकता था। देश अदृश्य जेल में था। आम आदमी के सारे अधिकार सस्पेंड कर दिए गए थे। 47 साल बाद राजस्थान में वैसा ही माहौल है।
उदयपुर मामले में पुलिस का फेल्योर सामने आ चुका है, लेकिन उसकी सजा आम लोगों को इंटरनेट बंद करके दी जा रही है। पिछले दो दिन से करोड़ों राजस्थानी डिजिटल कैद झेल रहे हैं। नेटबंदी के नाम पर सरकार ने मौलिक अधिकार छीन लिए हैं।ये पहली बार नहीं है, हर बार सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए इंटरनेट बंदी को ही हथियार बना रही है। पेपर लीक नहीं रोक पाते तो इंटरनेट बंद। इंटेलिजेंस फेल्योर के कारण करौली, जोधपुर में दंगे होते हैं तो इंटरनेट बंद। उधर, एमपी में भी हाल ही में दंगे हुए, लेकिन वहां इंटरनेट 1 मिनट के लिए भी बंद नहीं हुआ। कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद होता है।