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राजस्थान में सरकार बदलते ही ब्यूरोक्रेसी का चेहरा बदलने की पुरानी रवायत रही है। लेकिन इस बार सीएम बदलते ही ब्यूरोक्रेसी में भारी फेरबदल के आसार बन रहे हैं। प्रदेश को नया सीएम मिलते ही मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर सचिवालय स्तर पर बड़ा बदलाव होगा। नया सीएम अपने हिसाब से अफसरों की फिल्डिंग जमाएगा। मुख्य सचिव ऊषा शर्मा जून 2023 तक इस पद पर रहेंगी। 2023 में चुनाव से 6 महीने पहले ही वे रिटायर हो जाएंगी। सरकार को चुनाव से ठीक पहले नया मुख्य सचिव नियुक्त करने का मौका मिलेगा। हालांकि एक्सटेंशन का विकल्प भी खुला रहेगा। लेकिन निर्भर करता है सीएम पर। नया सीएम अपनी टीम गठित करेगा उसके ऊषा शर्मा फिट बैठती है या नहीं देखना होगा। उल्लेखनीय है कि सीएम अशोक गहलोत ने एक बार कहा था कि जब सरकार जाने को रहती है तो ब्यूरोक्रेस सबसे पहले मुंह फेर लेती है। सीएम गहलोत की यह बात सचिवालय में देखी जा सकती है। सचिवालय में अधिकारी रोजाना आ रहे हैं। लेकिन चेहरा बदला-बदला दिखाई दे रहा है।
गहलोत ने भी बदला था ब्यूरोक्रेसी का चेहरा
सीएम अशोक गहलोत ने 2018 में दिसंबर में मुख्यमंत्री बनते ही ब्यूरोक्रेसी का संपूर्ण चेहरा बदल दिया था। तत्कालीन मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को छोड़कर जिला स्तर से लेकर सचिवालय स्तर तक भारी बदलाव किए थे। आपको बता दें सीएम अशोक गहलोत ने सत्ता संभालने के बाद से लेकर लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पहले तक प्रदेश की पूरी ब्यूरोक्रेसी का चेहरा ही बदल डाला है। कांग्रेस सरकार ने इस अवधि में 1145 आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आरएएस अधिकारियों के ताबड़तोड़ तबादले किए हैं। कमोबेश ऐसी ही हालात अब बन रहे हैं।
सचिवालय में मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा
राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहा सियासी घटनाक्रम जहां देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है तो वहीं नौकरशाही के गलियारों में भी सियासी संग्राम अधिकारियों और कर्मचारियों के के बीच सबसे हॉट टॉपिक बना हुआ है। दरअसल सचिवालय में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री को लेकर है। चर्चा इस बात की है कि आखिर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं। अगर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो फिर प्रदेश में नया मुख्यमंत्री कौन होगा? नौकर शाह भी राजस्थान कांग्रेस में गठित सियासी घटनाक्रम के अपने अपने तरीके से सियासी मायने निकाल रहे हैं। सचिवालय में कामकाज पूरी तरह से बाधित हो रहा है। सचिवालय में मंत्रियों की आवाजाही कम हो गई है। हालांकि, सियासी घटनाक्रम के बीच मुख्य सचिव ऊषा शर्मा रोजाना अफसरों संग मीटिंग ले रही है।
सुरक्षित पोस्टिंग की तलाश में अफसर
चर्चा है कि सीएमओ के सबसे पावरफुल अफसरों में शामिल आरएएस देवाराम सैनी को सुरक्षित पोस्टिंग देने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार सीएम के विशेषाधिकारी सैनी को राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) में सदस्य नियुक्त किया जा सकता है। आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल छह साल या 62 वर्ष की आयु तक का होता है। आयोग के आधे सदस्य ऐसे होने चाहिए जो 10 साल तक भारत सरकार अथवा राज्य सरकार में सेवा में रहे हों। राजस्थान लोकसेवा आयोग में अध्यक्ष सहित आठ सदस्य होते हैं। इनकी नियुक्ति मंत्रिपरिषद के परामर्श से राज्यपाल करते हैं।