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दिल्ली में पारा 5.5 डिग्री सेल्सियस पहुंचा, जानें मौसम और प्रदूषण का पूरा हाल

दिल्ली में रविवार सुबह न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से दो डिग्री कम है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी है। इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को दिल्ली का न्यूनतम तापमान क्रमश: 10.7 और 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। वहीं, देश के कई हिस्सों में विजिबिलिटी कम हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक, अंबाला, देहरादून, बरेली और वाराणसी में सुबह साढ़े पांच बजे दृश्यता 25 मीटर दर्ज की गई। इसके अलावा चंडीगढ़, पटियाला, बहराइच, गया, पूर्णिया, कैलाशहर और अगरतला में दृश्यता 50 मीटर दर्ज की गई।

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मौसम विभाग के अनुसार घना कोहरा होने पर दृश्यता 0 से 50 मीटर के बीच होती है। घने कोहरे में दृश्यता 51 से 200 मीटर, मध्यम कोहरे में 201 से 500 मीटर और हल्के कोहरे में 501 से 1,000 मीटर तक होती है। मौसम विभाग ने कहा कि दिन में आसमान साफ ​​रहेगा और अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। दूसरी ओर, दिल्ली में वायु गुणवत्ता 2022 में केवल छह दिनों के लिए ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई, जो पिछले सात वर्षों में सबसे कम है।

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2020 में 15 दिन एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 2021 में 24 दिन, 2020 में 15, 2019 में 24, 2018 में 19, 2017 में नौ और 2016 में 25 दिन ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किए गए। उल्लेखनीय है कि 401 से 500 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। दिल्ली का एक्यूआई दिसंबर में दो दिनों के लिए ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा, जो 2017 के बाद से इस महीने का सबसे निचला स्तर है। शहर में प्रदूषण रोधी योजनाओं के लागू होने और अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण 2022 में शहर में प्रदूषण कम रहा।

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नवंबर में औसत एक्यूआई 320 दर्ज किया गया था

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अक्टूबर ने 2015 में दिल्ली की दूसरी सबसे अच्छी वायु गुणवत्ता दर्ज की, जब से सीबीसीबी ने एक्यूआई डेटा सहेजना शुरू किया। आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में औसत एक्यूआई 320 रहा, जो 2019 के बाद दूसरा सबसे अच्छा एक्यूआई है। नवंबर में एक्यूआई 312 था। इसके मुताबिक, अक्टूबर-नवंबर में पीएम2.5 का स्तर 2016 की तुलना में 38 फीसदी कम था, जो पिछले आठ सालों में सबसे खराब है। अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में हानिकारक प्रदूषण स्तर का मुख्य कारण पराली जलाना है। इस साल पंजाब में 30 फीसदी और हरियाणा में 48 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

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