शुक्रवार को पटना के निगरानी न्यायालय ने गया के पूर्व जिलाधिकारी और 1991 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एस एम राजू की नियमित जमानत याचिका रद्द कर बेउर जेल भेद दिया है। महादलित विकास मिशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर रहते हुए एस एम राजू पर सरकारी राशि के गबन और भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा था।
छात्रों और कोलेज का फर्जी विवरण बता कर छात्रवृति की राशि निकाली
निगरानी थाना में कांड संख्या 81/2017 के तहत मामला दर्ज किया गया था। हाल वे इस मामले में बेल पर थे। जानकारी के मुताबिक, निगरानी ब्यूरो द्वारा कई बार उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया, परंतु वह हाजिर नहीं हुए। बताया जा रहा है कि जब एसएम राजू मिशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हुआ करते थे तब महादलित वर्ग के छात्रों के लिए छात्रवृति योजना चलती थी जिसमें व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया था। छात्रों के नाम और कोलेज का विवरण फर्जी बता कर छात्रवृति की राशि निकाली गई थी। इस मामले में मिशन और विभाग के कई अन्य कर्मी भी दोषी पाए गए थे। जिन पर कार्यवाही हुई थी।
पद के दुरुपयोग का आरोप
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एस एम राजू के खिलाफ 406, 409, 420, 467, 468, 471,477A एवं धारा 120 B के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया था. एस एम राजू ने विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी की अदालत में नियमित याचिका दाखिल की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है. बता दें कि, बिहार दलित विकास मिशन के मामले में पांच आरोपियों की उपस्थिति के लिए सम्मन जारी हो चुका है. निगरानी की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश द्वारा यह सम्मन जारी किया गया है.