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गुजरात की गांधीनगर सेशन कोर्ट ने आसाराम बापू के खिलाफ रेप केस में फैसला सुनाया है. इस दौरान कोर्ट ने आसाराम को दोषी ठहराया गया है. इस फैसले को लेकर गांधीनगर सत्र न्यायालय में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. दरअसल, 6 अक्टूबर 2013 को आसाराम समेत कुल 7 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसमें सबूत के अभाव में आसाराम को छोड़कर 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गांधीनगर की कोर्ट ने आसाराम बापू को महिला शिष्या से रेप के मामले में दोषी करार दिया है. दरअसल, सूरत की दो बहनों से रेप मामले में कोर्ट ने आसाराम को दोषी साबित कर दिया है. इस फैसले को लेकर गांधीनगर सत्र न्यायालय में पुलिस तैनात की गई थी. जहां कोर्ट रूम से परिसर तक पुलिस ने भारी सुरक्षा का इंतजाम किया था.
सबूत के अभाव में आसाराम को छोड़कर 6 आरोपी हुए थे बरी
वहीं, 6 अक्टूबर 2013 को आसाराम समेत कुल 7 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था. वहीं, ये घटना साल 2001 की गुरुपूर्णिमा के दिन हुई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी आसाराम, भारती बेन, लक्ष्मी बेन, निर्मला लालवानी उर्फ ढेल,मीरा कलवानी, ध्रुव बलानी, जसवंती बेन चौधरी शामिल है. जिसमें सबूत ना मिलने के चलते आसाराम को छोड़कर 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया है, जिसमें आसाराम की पत्नी और बेटी भी शामिल है. जबकि, आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद है.
क्या है मामला? जेल में कब से बंद है आसाराम?
बता दें कि, साल 2013 में सूरत की दो बहनों ने नारायण साईं और उनके पिता आसाराम बापू के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने बताया था कि नारायण साईं ने साल 2002 से 2005 के बीच उसके साथ कईंयों बार रेप की वारदात को अंजाम दिया था. लड़की ने बताया कि जब वह सूरत में आसाराम के आश्रम में रह रही थी, तब उसके साथ रेप हुआ था. हालांकि, इसके बाद उसकी बड़ी बहन ने भी अपनी शिकायत में आसाराम पर रेप का आरोप लगाया था. उसका कहना था कि साल 1997 से 2006 के बीच वह अहमदाबाद में आसाराम के आश्रम में रही. इस दौरान आसाराम ने उसके साथ कई बार रेप की वारदात को अंजाम दिया है. जहां दोनों बहनों ने पिता और बेटे के खिलाफ अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी.