REPORT TIMES
राजस्थान में पिछले काफी समय से चल रहे राइट-टू-हेल्थ बिल को लेकर निजी अस्पतालों का विरोध प्रदर्शन लगातार चल रहा है. बिल को लेकर सरकार और डॉक्टर कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं दिखाई दे रहा है जिसके बाद इन दोनों के बीच मरीज पिस रहे हैं और पिछले कई दिनों से सरकारी और निजी अस्पतालों में खासी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मालूम हो कि पिछले 3 दिन से सरकारी योजनाओं में मरीजों का इलाज नहीं करने के निजी अस्पतालों के ऐलान के बाद मंगलवार को भी चिरंजीवी और आरजीएचएस में इलाज नहीं किया गया. वहीं सरकार ने बुधवार को होने वाली प्रवर समिति की बैठक भी अब स्थगित कर दी है. डॉक्टर्स लगातार राइट-टू-हेल्थ बिल को काला कानून बता रहे हैं. इधर प्रदेश में इस बिल को लेकर निजी अस्पतालों के विरोध के बीच अब सिविल सोसायटी सरकार के पक्ष में उतर आई है. मंगलवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस बिल को आम जनता के लिए जरूरी बताते हुए विरोध करने वालों को निशाने पर लिया. सामाजिक संगठनों ने दो टूक में कहा कि अगर निजी अस्पतालों को बिल पर कोई आपत्ति है तो वह बताएं. वहीं बिल को विधानसभा में वापस पेश करने के लिए सरकार ने डॉक्टर्स और अस्पतालों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है. वहीं दूसरी ओर डॉक्टर्स की स्टेट जॉइंट एक्शन कमेटी ने अपना पक्ष रखने के लिए राज्यपाल से समय मांगा है.
राज्यपाल से मिलेगी जॉइंट एक्शन कमेटी
वहीं विभिन्न चिकित्सा संगठनों की संयुक्त संघर्ष समिति ने मंगलवार को अपनी आपत्तियों की एक सूची चिकित्सा मंत्री के सामने रखी. इसके अलावा डॉक्टरों ने राज्यपाल से मिलने का समय भी मांगा है. समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनील चुघ का कहना है कि जबरन किसी काले कानून को थोपना सही नहीं है और हम इसका विरोध ऐसे ही जारी रखेंगे. बता दें कि इस कानून को लेकर निजी संचालकों का इमरजेंसी की परिभाषा और मरीजों के बनाए जा रहे एक प्राधिकरण के अलावा कई बिंदुओं पर नाराजगी है. वहीं सरकारी योजनाओं में फ्री इलाज करने को लेकर भी निजी अस्पतालों का कहना है कि इससे प्राइवेट अस्पतालों पर एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगाय
बिल के समर्थन में उतरी सिविल सोसायटी
वहीं निजी डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर अब सिविल सोसायटी बिल के समर्थन में उतर गई है. मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे और जन स्वास्थ्य अभियान के डॉ. नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करना गलत है. सामाजिक संगठनों ने कहा कि डॉक्टर्स का ऐसा बर्ताव आगे भी रहा तो लोगों के साथ सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे. बता दें कि राजस्थान के 100 से अधिक नागरिक समाज संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान, सूचना एवं रोजगार अभियान और PUCL राजस्थान के सदस्यों ने निजी चिकित्सकों के राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चल रहे विरोध पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि निजी चिकित्सक विरोध क्यों कर रहे हैं, यह समझ नहीं आ रहा है और जिस बात को लेकर उन्हें आपत्ति है तो उनको बताना चाहिए. डे ने कहा कि यह बिल आम जनता की आवाज पर लाया गया है और कानून बनेगा तब ही तो स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी.