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मुंबई: एनसीपी प्रमुख शरद पवार इन दिनों अपने बयानों से एक तरफ केंद्र में अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्य में स्वयं के विजन से खड़ी की गई महाविकास आघाड़ी की एकता की राह में रुकावटें डालने का काम कर रहे हैं. उनके मन में फिलहाल क्या चल रहा है, यह समझना मुश्किल है. पहले उन्होंने गौतम अडानी के खिलाफ जेपीसी जांच की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर राहुल गांधी की मांग को फिजूल ठहरा दिया. अब महाराष्ट्र के मामले में उन्होंने उद्धव ठाकरे पर सवाल खड़े किए.शरद पवार ने बयान दिया है कि उद्धव ठाकरे ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तब उन्होंने सहयोगी पार्टियों के साथ सलाह मशवरा नहीं किया. वे सिर्फ अपनी पार्टी की वजह से सीएम नहीं थे. उनके मुख्यमंत्री बनने में कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों का भी योगदान था. तीनों पार्टियों के विधायकों के नंबर्स जुड़े थे, तब जाकर वे मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन उन्होंने अपने फैसले किसी को बताए बिना इस्तीफा दे दिया. शरद पवार ने यह बयान एक मराठी न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में दिया है.
शरद पवार के हाल के बयान BJP को फायदा पहुंचाने वाले
यानी शरद पवार क हाल के बयान सीधे-सीधे राष्ट्रीय राजनीति में यूपीए को और राज्य में महाविकास आघाड़ी को नुकसान पहुंचाने वाले हैं और बीजेपी को सीधे तौर पर फायदे पहुंचाने वाले हैं. हालांकि अडानी मामले में शरद पवार के विपक्ष के स्टैंड से अलग राय रखने पर संजय राउत ने इस बारे में सफाई देते हुए कहा था कि इसका विपक्षी एकता पर फर्क नहीं पड़ेगा और शरद पवार ने गौतम अडानी के खिलाफ जांच किए जाने पर एतराज नहीं जताया है. शरद पवार ने बस जेपीसी की जांच की बजाए न्यायिक जांच का एक विकल्प सुझाया है.
राहुल का था बीजेपी-अडानी के मिले होने का आरोप, पवार ने की अडानी की तारीफ
पर सच्चाई यही है कि उन्होंने यह बयान देकर गौतम अडानी और बीजेपी के बीच सांठ-गांठ का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी को एक तरह से असहज ही किया. क्योंकि शरद पवार ने तब अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में गौतम अडानी की तारीफ में यह भी कहा था कि देश में अडानी के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा बिजली देने वालों में अडानी आगे हैं.
‘अगर NCP-BJP गठबंधन करके शिंदे को बाहर करते हैं, तो सीएम अकेले सक्षम’
शरद पवार की नई नीति और बयानों पर शक करने के और भी कई आधार हैं. पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके कांग्रेस के सीनियर नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बयान दिया है कि शरद पवार का यह बयान कि ‘जेपीसी की जरूरत नहीं है, अडानी ने कुछ भी नहीं किया,’ खटकनेवाला है. इन सबके बीच एकनाथ शिंदे गुट के नेता आनंदराव अडसूल का दिया बयान और भी ज्यादा चौंकाता है. अडसूल ने कहा है कि अगर ऐसा कोई सीन बनता है कि शरद पवार की एनसीपी और बीजेपी साथ आ जाएं और दोनों मिलकर शिंदे की शिवसेना को बाहर रखें तो एकनाथ शिंदे राज्य में खुद के दम पर पार्टी को खड़ी करने में सक्षम हैं.
पवार की परछाईं को भी उनकी अगली चाल का पता नहीं होता है
यानी संपूर्ण परिदृश्य पर गौर करें तो इससे कई तरह के सवाल, शंकाएं और संभावनाएं दिखाई देती हैं. एक, क्या शरद पवार यूपीए और महाविकास आघाड़ी से दूर जा रहे हैं? दो, क्या शरद पवार की एनसीपी बीजेपी के पास जा रही है. तीन, क्या पवार मौका देखकर चौका मारने की रणनीति पर काम कर रहे हैं? यानी वे राज्य में महाविकास आघाड़ी में और केंद्र में यूपीए में बने रहेंगे. लेकिन 2024 के चुनाव के बाद अगर बीजेपी की तरफ हवाओं का रुख दिखा तो झट से पाला बदल कर बीजेपी के साथ जाने का भी ऑप्शन खुला रख रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं? पवार की परछाईं को भी पवार की पॉलिटिक्स का पता नहीं होता है. जब वे चाल चल देते हैं, तब लोग दिमाग के घोड़े दौड़ाना शुरू कर देते हैं कि अरे हां, पवार ने हिंट्स तो दिए थे.