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जयपुर: राजस्थान में कांग्रेस विधानसभा चुनावों को लेकर जोर आजमाइश कर रही है जहां प्रदेश के सभी विधायकों से फीडबैक लिया जा रहा है लेकिन इधर राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने लगातार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. 11 अप्रैल को एक दिन का अनशन करने के बाद पायलट सोमवार को एक बार फिर बरसे जहां उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों पर 7 दिन बीत जाने के बाद भी कोई एक्शन नहीं होने का मुद्दा उठाया. पायलट ने एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर जमकर निशाना साधा. मालूम हो कि पायलट सोमवार को झुंझुनूं जिले के खेतड़ी में टीबा गांव में शहीद की मूर्ति का अनावरण करने पहुंचे थे. हालांकि पायलट के विधायकों के फीडबैक कार्यक्रम में नहीं पहुंचने का मुद्दा भी दिनभर छाया रहा. दरअसल पायलट के अनशन के बाद से आलाकमान और सीएम अशोक गहलोत ने चुप्पी साध रखी है और गहलोत गुट के विधायक भी उस तरह से हमलावर नहीं हैं. इधर पायलट ने अनशन के 7 दिन बीत जाने के बाद एक बार फिर कार्रवाई नहीं होने की बात कही जिसको लेकर माना जा रहा है कि अब पायलट की लड़ाई की दिशा चुनावों को देखते हुए बदल गई है.
7 दिन हो गए लेकिन कार्रवाई नहीं हुई : पायलट
पायलट ने सोमवार को कहा कि हमनें जनता से वादे किए थे और अब जब वह पूरे नहीं हुए तो किस मुंह से वोट मांगने जाएंगे. उन्होंने कहा कि राजे सरकार के करप्शन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन नहीं हुई तो हमनें जनता को जिस कार्रवाई का भरोसा देकर वोट लिया था अब उस पर खरे उतरने का समय है.पायलट ने इस दौरान कहा कि मैंने मेरी बातें लिखित में उठाई है और उन मांग को लेकर ही अनशन किया था जो वादे हमनें चुनावों में किए थे. उन्होंने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं करना चाहिए और मैंने इसे देखते हुए ही एक दिन का अनशन किया था लेकिन एक हफ्ता बीतने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
पायलट तेज करेंगे अपनी लड़ाई!
गौरतलब है कि गहलोत गुट अनशन के बाद से लगातार शांत है लेकिन सचिन पायलट 7 दिन बाद भी मुखर अंदाज अपनाते हुए अपने स्टैंड पर टिके हुए हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजस्थान में चुनावों में अब बेहद कम समय बचा है और अब टिकट वितरण का असली खेल शुरू होने वाला है ऐसे में पायलट-गहलोत की खींचतान मुख्यमंत्री की कुर्सी से शिफ्ट हो गई है. बताया जा रहा है कि गहलोत और पायलट गुटों के बीच अब चल रही आपसी कलह अपने लोगों को टिकट दिलवाने के लिए है जहां जिसके समर्थकों को विधानसभा चुनावों के लिए ज्यादा टिकट मिलेंगे उसके लिए भविष्य में सीएम की कुर्सी की राहें आसान होंगी. हालांकि सीएम का फैसला आलाकमान करता है जैसा 2018 के चुनावों में देखने को मिला था.