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राजस्थान के अजमेर जिले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थकों में आपस में झड़प हो गई. दोनों के समर्थक एक-दूसरे पर लाठी-डंडे लेकर टूट पड़े. दोनों ओर से जमकर मारपीट हुई, जिससे दोनों पक्ष के कई लोग घायल हो गए. इस दौरान किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दी. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने जब मौके पर समर्थकों को समझाने का प्रयास किया तो वह नहीं माने और पुलिस के सामने ही आपस में लड़ते रहे. फिलहाल पुलिस ने कई को हिरासत में लिया है. जानकारी के मुताबाकि, कांग्रेस की सह प्रभारी अमृता धवन आज अजमेर पहुंची थीं. उनके कार्यक्रम में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थक आए हुए थे. इसी बीच किसी बात को लेकर समर्थकों में तनातनी का माहौल बन गया. देखते ही देखते सह प्रभारी अमृता धवन के सामने ही दोनों ओर से लात-घूंसे चलने लगे. यही नहीं लाठी-डंडे भी खूब चले, जिससे कई कांग्रेसी कार्यकर्ता घायल हो गए. पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया है.
सचिन पायलट ने अजमेर से ही थी निकाली थी अपनी यात्रा
बता दें कि अभी हाल ही में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अजमेर से जयपुर तक की पांच दिवसीय ‘जन संघर्ष यात्रा’ निकाली थी, जिसमें वह मुखर होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ उतर आए थे. उन्होंने कहा था कि वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच अशोक गहलोत सरकार को करानी चाहिए, लेकिन अब जब सरकार जांच के आदेश नहीं दे रही है. इससे सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई न करने की मानसिकता पर सवाल खड़ा होता है.
इसी साल के अंत में होने हैं विधानसभा चुनाव
बता दें कि इसी साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट की अदावत कांग्रेस को भारी पड़ सकती है. सचिन पायलट अब खुलकर अशोक गहलोत के विरोध में उतर आए हैं. वह अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे पार्टी सकते में है. ऐसा इसलिए, क्योंकि सचिन राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. 2018 में जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो सचिन पायलट ही प्रदेश अध्यक्ष थे.
सचिन पायलट की अगुवाई में लड़ा गया था 2018 का चुनाव
सचिन पायलट की अगुवाई में ही 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया था, जिसमें कांग्रेस को जीत मिली थी. हालांकि मुख्यमंत्री पद अशोक गहलोत के खाते में गया, जिसकी टीस अभी भी सचिन पायलट के मन में है. वह अक्सर अशोक गहलोत सरकार के फैसलों और पिछली वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को घेरते रहते हैं.