REPORT TIMES
जयपुर: कर्नाटक की करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी आने वाले राज्यों में इस पैटर्न को हरगिज भी किसी को दोहराने नहीं देना चाहती. सियासी सूरमाओं के बीच वर्चस्व का संघर्ष राजस्थान में भी कर्नाटक की ही तरह है. यहां भी कुछ नेता हैं, जो पार्टी की नाव को पार कराने की जगह डुबा सकते हैं. अगले साल आम चुनाव भी होने हैं और विधानसभा चुनावों के नतीजों का असर लोकसभा पर पड़ने का भय भी है. ऐसे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बूते राजस्थान का रण जीतने की कोशिश में हैं. इस बात से चौंकना इसलिए भी नहीं चाहिए क्योंकि अगर बीजेपी इलेक्शन मशीन हैं तो उसका ईंधन पीएम मोदी ही हैं.राज्यों में भले ही इस रणनीति का सक्सेस रेट कम रहा हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में इसे किसी सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं. राजस्थान में तो हरगिज भी नहीं. 2014 का आम चुनाव हो या 2019 का, बीजेपी ने इन दोनों ही लोकसभा चुनावों में राजस्थान में विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ किया. 25 में से एक भी सीट न 2014 के चुनाव में कांग्रेस के हाथ लगी और न ही 2019 के चुनाव में. अब अगले साल एक बार फिर आम चुनाव होने हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान को ही कैंपेन का ‘स्टार्टिंग ब्लॉक’ बनाया है. स्टार्टिंग ब्लॉक वो उपकरण होता है, जिसकी मदद से रेस में दौड़ने वाला धावक गति पकड़ता है और स्लिप होने की संभावनाओं से बच जाता है. 2023 का विधानसभा चुनाव हो या 2024 का लोकसभा चुनाव, प्रधानमंत्री मोदी हरगिज भी कहीं स्लिप होने का रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं. वो इस साल राजस्थान में सत्ता परिवर्तन तो अगले साल जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं. इसलिए कैंपेनिंग का स्टार्टिंग ब्लॉक राजस्थान को बनाया है. 31 मई को पीएम मोदी राजस्थान के अजमेर में सभा करने वाले हैं और यहीं से कैंपेनिंग की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी.
महासंपर्क से निकलेगी गहलोत की काट?
अब जब प्रधानमंत्री मोदी खुद मैदान में उतर रहे हैं तो मंडल से प्रदेश संगठन तक का सिस्टम एक्टिव है. बीजेपी का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस सभा में 2 लाख से ज्यादा लोग जुटेंगे. कार्यकर्ताओं को यहां तक लाने की जिम्मेदारी जिला कार्यकारिणियों को दी गई है. इस सभा से ही बीजेपी के देशव्यापी चलने वाले महाजनसंपर्क अभियान का भी आगाज होगा. एक महीने तक चलने वाले इस अभियान में पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और मोदी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों से जन-जन को बताएंगे. जानकारों की मानें तो इसके बूते राजस्थान में गहलोत सरकार की उन योजनाओं का असर कम करने की कोशिश है, जिसका लाभ गहलोत को आगामी विधानसभा चुनाव में मिलते दिखाई दे रहा है. गहलोत पहले ही इन योजनाओं को लेकर राजस्थान में लगातार दौरे कर रहे हैं. चिरंजीवी और मुफ्त बिजली जैसे राजस्थान सरकार के कार्यों का सीधा लाभ जनता को मिला है. वहीं इन लाभों की तुलना में केंद्र से मिलने वाली मदद और योजनाओं को बीजेपी के कार्यकर्ता महाजनसंपर्क के दौरान लोगों तक पहुंचाएंगे.
1 अजमेर, 8 लोकसभा और 64 विधानसभा
वहीं सीटों के समीकरण को समझें तो मोदी की अजमेर सभा से आस-पास की 8 लोकसभाओं और 64 विधानसभा सीटों को साधने की कवायद है. अजमेर की सीमाएं नागौर, जयपुर, टोंक, भीलवाड़ा और पाली जिले से लगती हैं, ऐसे में अजमेर टेक्टिकल पॉइंट से भी बहुत जरूरी हो जाता है. अजमेर में सभा रखने से इन जिलों के लोग भी वहां आएंगे. इस सभा से इन जिलों में पड़ने वाली 25 में से 8 लोकसभा और 200 में से 64 विधानसभी सीटों को सीधे-सीधे पीएम के चार्म से साधा जा सकेगा. इसके अलावा पूरे प्रदेश से मंडल स्तर तक के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है. प्रधानमंत्री मोदी इन कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करेंगे, ताकि आगामी चुनावों में बीजेपी अपनी असली ताकत यानी उनके कार्यकर्ताओं के जज्बे और पोस्टर बॉय पीएम मोदी की इमेज से लाभ ले सके.