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नीतीश कुमार के मन में क्या है? क्या पटना में पक रही बगावत की एक और खिचड़ी!

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महाराष्ट्र में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम ने देश के अन्य कुछ राज्यों में भी हलचल बढ़ा दी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से पटना में अपनी पार्टी के नेताओं, विधायकों और सांसदों से मुलाकात कर रहे हैं और पार्टी में कही जा रहीं बगावत की बातों को समझने की कोशिश कर रहे हैं.नीतीश कुमार की अपने नेताओं संग ये वन-टू-वन बैठक तब अहम दिख रही है, जब महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार, 8 अन्य विधायकों के साथ मिलकर शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बन गए हैं. ये कदम 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बन रही विपक्षी एकता के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.

सांसदों और विधायकों से मिल रहे नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री ने 2 जुलाई को पटना के अपने आवास में पार्टी के सांसदों से मुलाकात शुरू की, इसी दिन पटना से कई किमी. दूर मुंबई में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार का साथ छोड़ भाजपा के साथ जाने की तैयारी कर रहे थे. नीतीश कुमार ने मुलाकात के इस दौर में लोकसभा सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, दुरल चंद्र गोस्वामी, सुनील कुमार कुशवाहा और राज्यसभा सांसद अनिल हेगड़े से मुलाकात की. बता दें कि लोकसभा में जदयू के कुल 16, राज्यसभा में कुल 5 सांसद हैं. सिर्फ सांसद ही नहीं बल्कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी के विधायकों से भी मिल रहे हैं. जदयू इस वक्त बिहार में आरजेडी और कांग्रेस के साथ सत्ता में है, 243 विधानसभा वाले बिहार में जदयू के पास 45 विधायक हैं. बात सिर्फ विधायकों, सांसदों से मुलाकात तक सीमित नहीं है बल्कि कुछ दिन पहले नीतीश राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर से भी मिल चुके हैं, तभी बिहार में अटकलों का बाज़ार गरम है. बिहार में अलग-अलग बातों का ये दौर तब और भी आगे बढ़ा, जब विपक्षी पार्टियों ने कई तरह के दावे किए. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार पार्टी टूटने से बचाने की अंतिम कोशिश कर रहे हैं, जबकि अन्य कुछ नेताओं ने दावा किया कि जदयू के कुछ विधायक और सांसद भाजपा के संपर्क में हैं और राजद के साथ गठबंधन तोड़ने के लिए तैयार हैं. हालांकि इन तमाम दावों को जदयू ने सिर्फ अटकलें ही बताया है और कहा है कि मुख्यमंत्री सिर्फ विधायकों की समस्याओं को सुन रहे हैं.

भाजपा ने अटकलों पर आखिर क्या कहा?

कुछ रिपोर्ट्स में दावा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार में पलटी मार सकते हैं और एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं. दूसरी ओर भाजपा सांसद सुशील मोदी का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अब एनडीए में किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को शामिल नहीं किया जाएगा, अगर नीतीश अपनी नाक भी रगड़ेंगे तब भी भाजपा के दरवाजे उनके लिए बंद रहेंगे और हम उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे. बता दें कि बिहार में ये सब घटनाक्रम 23 जून को हुई विपक्ष के महाजुटान के बाद हुआ है, जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र विपक्ष के करीब 35 नेताओं की बैठक की अगुवाई की थी. नीतीश कुमार ही विपक्ष के इस महाजुटान के चेहरे के तौर पर सामने आए हैं और पहली मीटिंग को उन्होंने ही संचालित भी किया.

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