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सचिन पायलट को घर में ही घेरने की तैयारी, इसलिए रमेश बिधूड़ी को ‘सजा’ की जगह जिम्मेदारी

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लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने वाले बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी को पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. बीजेपी ने उन्हें टोंक जिले का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. टोंक जिला को कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है और वो इसी सीट से विधायक भी हैं. पायलट और बिधूडी दोनों गुर्जर समुदाय से आते हैं. ऐसे में बीजेपी ने बिधूड़ी के जरिए पायलट को सिर्फ टोंक में घेरने ही नहीं बल्कि गुर्जर समुदाय को भी साधने की रणनीति मानी जा रही है? राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है. सूबे में चारों दिशाओं से यात्रा निकालकर माहौल बनाने के बाद बीजेपी ने अब जिले स्तर पर 44 प्रवासी नेताओं को जिम्मा सौंपा गया है. इस फेहरिश्त में दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी का नाम भी शामिल है, जिन्हें राजस्थान में सचिन पायलट के गढ़ टोंक जिला का चुनावी प्रभार दिया गया है. बिधूड़ी चुनाव तक टोंक में कैंप करके पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेंगे.

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टोंक जिले में गुर्जर समुदाय बहुतायत

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टोंक जिले में चार विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से टोंक सीट से सचिन पायलट विधायक हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस सचिन पायलट को इस बार फिर से टोंक सीट से ही चुनाव मैदान में उतार सकती है. टोंक जिले में गुर्जर समुदाय के लोग बड़ी संख्या में है और पिछले विधानसभा चुनाव में पायलट के चलते गुर्जरों की पहली पसंद कांग्रेस सिर्फ टोंक ही नहीं बल्कि राजस्थान में भी बनी थी. हाल ये रहा कि बीजेपी से एक भी गुर्जर उम्मीदवार विधायक का चुनाव जीत नहीं सका था जबकि कांग्रेस से सात विधायक चुने गए थे. दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सचिन पायलट को सीएम पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. माना जा रहा था कि अगर कांग्रेस जीती तो पायलट ही सीएम बनेंगे. ऐसे में गुर्जर समुदाय ने एकतरफा कांग्रेस के पक्ष में वोट किया था. बीजेपी को गुर्जर बाहुल्य वाली सीटों पर बड़ा झटका लगा था. हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व ने अशोक गहलोत को सीएम और पायलट को डिप्टी सीएम बना दिया. हालांकि इसके बाद से गहलोत और पायलट के बीच सियासी टकराव जारी रहा.

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जिम्मेदारी मिलते ही एक्टिव हुए बिधूड़ी

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सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद न मिलने से बीजेपी को यह लग रहा है कि गुर्जर समुदाय की कांग्रेस से नाराजगी का फायदा उसे मिल सकता है. ऐसे में नाराज माने जा रहे गुर्जरों को लुभाने के लिए बीजेपी ने अपने गुर्जर नेता रमेश बिधूड़ी को टोंक जिले का प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. पार्टी की ओर से जिम्मा मिलते ही रमेश बिधूड़ी फौरन एक्टिव भी हो गए. रमेश बिधूड़ी बुधवार को जयपुर में प्रदेश बीजेपी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और टोंक-सवाई माधोपुर के सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया के अलावा चुनाव अभियान और टोंक की समन्वय समिति में शामिल अन्य नेताओं के साथ बैठक करते भी नजर आए. सचिन पायलट राजस्थान में गुर्जर समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. राज्य में 5 फीसदी गुर्जर समुदाय 30 से 35 सीटों पर सियासी प्रभाव रखते हैं, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में है. राजस्थान में भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, जयपुर, टोंक, दौसा, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, अजमेर और झुंझुनू जिलों को गुर्जर बहुल क्षेत्र माना जाता है. माना जाता है कि राजस्थान में गुर्जर जाति का वोट बैंक बीजेपी के प्रभाव में रहता था, लेकिन कांग्रेस ने सचिन पायलट के जरिए उन्हें पिछले चुनाव में अपनी तरफ मोड़ने में काफी हद तक सफल रही है.

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चुनाव में बीजेपी को लगे थे झटके

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बता दें कि राजस्थान के 2018 के विधानसभा चुनाव में गुर्जर समुदाय से 8 विधायक जीतने में सफल रही थे. कांग्रेस ने गुर्जर समुदाय से 12 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से सात विधायक बनने में सफल रहे. बसपा के टिकट पर गुर्जर समुदाय के जोगिन्दर सिंह अवाना जीतकर विधायक बने, लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. इस तरह गुर्जर समुदाय से कांग्रेस के 8 विधायक हो गए हैं. बीजेपी ने गुर्जर समुदाय के 9 प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक भी जीत दर्जन नहीं कर सके हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी टोंक जिले में उतारकर गुर्जर वोटों को साधने का दांव चला है, क्योंकि वह भी उसी जाति से आते हैं, जिस जाति के सचिन पायलट हैं. बसपा सांसद दानिश अली पर विवादित टिप्पणी किए जाने को लेकर बिधूड़ी सियासी चर्चा में है. बिधूड़ी ने जिस तरह से बसपा सांसद पर विवादित बयान दिए हैं, उससे बीजेपी को राजस्थान में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद दिख रही है. यही वजह है कि उन्हें चुनावी रण में ऐसे जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां उनकी बिरादरी के वोट जीत हार की भूमिका तय करते हैं. बिधूड़ी के जरिए सचिन पायलट को उनके ही घर में घेरने और साथ ही राजस्थान में गुर्जर वोटों को भी साधने की कवायद के तौर पर देखा रहा है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी का यह दांव कितना सियासी मुफीद साबित होता है?

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