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वैसे तो राजस्थान में हर पांच साल पर सरकार बदलने की परंपरा है, लेकिन इतनी दुर्दशा शायद ही कभी हुई हो. सूबे में बदलाव के बयार के साथ जब बीजेपी की आंधी चली तो गहलोत सरकार के आधे से ज्यादा मंत्री चुनाव हार गए हैं. 25 में से कुल 17 मंत्री चुनाव हारे हैं. यह सभी मंत्री अपने आप को दिग्गज कहते थे. इनमें कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह, परसादी लाल मीणा, रमेश मीणा और गोविंद राम मेघवाल जैसे बड़े नाम शामिल हैं. वहीं कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जयपुर की सिविल लाइंस से और मंत्री भंवर सिंह भाटी कोलायत से चुनाव हार गए हैं. रविवार को हुई राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 की मतगणना की रिपोर्ट के मुताबिक सहाकारिता मंत्री उदयलाल आंजना भी चुनाव हार गए हैं. वहीं अलवर जिले की बानसूर सीट से उद्योग मंत्री शकुंतला रावत चुनाव हार गई हैं. इसी प्रकार दौसा जिले की सिकराय सीट से महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश को भी बड़ी चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. बता दें कि इस चुनाव में कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल खाजूवाला से चुनाव लड़ रहे थे. जबकि कोलायत से भंवर सिंह भाटी मैदान में थे.
दिग्गज मंत्री हारे
इसी प्रकार सपोटरा से रमेश मीणा, लालसोट से परसादीलाल मीणा और डीग-कुम्हेर से राजा विश्वेंद्र सिंह चुनाव लड़े थे. वहीं गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास को सिविल लाइंस सीट से बुरी हार का सामना करना पड़ा है. जबकि सिकराय से ममता भूपेश और बानसूर से शकुंतला रावत चुनाव हारी हैं. कोटपूतली से राजेंद्र यादव तो बीकानेर पश्चिम से बीडी कल्ला और पोकरण से सालेह मोहम्मद चुनाव हार गए हैं. मांडलगढ़ से राम लाल जाट और सांचौर से सुखराम विश्नोई को भी हार का सामना करना पड़ा है. उधर, निंबाहेड़ा से विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री उदयलाल आंजना, कामां से जाहिदा खान, अंता से प्रमोद जैन भाया और वैर से भजन लाल जाटव भी चुनाव हार गए हैं.
कांग्रेस के लिए चार अच्छी खबरें भी
इतनी बड़ी हार के बीच कांग्रेस के लिए थोड़ी अच्छी खबरें भी हैं. दरअसल गहलोत सरकार में नंबर दो माने जाने वाले यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली भी अलवर ग्रामीण से विजयी हुए हैं. दौसा में सचिन पायलट समर्थक मंत्री मुरारी लाल मीणा भी सीट बचाने में सफल हो गए तो परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला को झुंझुनूं से जीत मिली है. इस चुनाव में गहलोत सरकार के दो मंत्री हेमाराम चौधरी और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया इस बार चुनाव मैदान में नहीं थे. वहीं महेश जोशी को तो टिकट ही नहीं मिल पाया था.