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विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने रविवार को एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. विदेश मंत्री ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में कहा है कि सुरक्षा परिषद अधिक सदस्य देशों को शामिल करने का इच्छुक नहीं है. परिषद के कुछ सदस्य अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इजराइल-हमास जंग समेत कई अहम मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र विफल नजर आया है. एनएनआई के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद एक पुराने क्लब की तरह है, जहां ऐसे सेट सदस्य हैं जो परिषद पर अपनी पकड़ छोड़ना नहीं चाहते हैं. वो क्लब पर अपना कंट्रोल रखना चाहते हैं और परिषद में अधिक सदस्यों को शामिल करने के लिए बहुत उत्सुक भी नहीं है. एक तरह से यह मानवीय असफलता है. उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि आज यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि दुनिया के सामने मौजूद प्रमुख मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है. मैं आपको इसे लेकर दुनिया की भावना भी बता सकता हूं. मेरा मतलब है कि आज अगर आप दुनिया के 200 देशों से पूछेंगे कि क्या आप सुधार चाहते हैं या नहीं चाहते? इसमें बहुत बड़ी संख्या में देश कहेंगे कि वो सुधार चाहते हैं.
सुरक्षा परिषद में पांच देशों का दबदबा
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य देश शामिल हैं. इनमें फ्रांस, चीन, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका का नाम है. सुरक्षा परिषद की अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी है. विदेश मंत्री ने इससे पहले संयुक्त राष्ट्र से मॉर्डन दुनिया में प्रासंगिक बने रहने के लिए अपने भीतर में सुधार करने का आह्वान किया था.
‘अपने एजेंडा को आकार देते हैं कुछ देश’
न्यूयॉर्क में 78वे यूएनजीए को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा था, हम विचार-विमर्श में अक्सर नियम आधारित आदेश को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं. समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान भी शामिल होता है. अभी भी कुछ राष्ट्र हैं जो अपने एजेंडा को आकार देते हैं मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं.