सात राज्यों में 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के आज नतीजे शनिवार को सामने आ गए. 13 सीटों में एनडीए को केवल दो पर जीत मिली है. सबसे चौंकाने वाला परिणाम बिहार की रूपौली सीट का रहा जहां निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने सत्ताधारी जेडीयू के कलाधर मंडल को 8 हजार से अधिक वोटों से हराया. आरजेडी की बीमा भारती यहां तीसरे नंबर पर रही.
विधानसभा उपचुनाव में इंडिया गठबंधन को जीत मिली है जबकि एनडीए को नुकसान सहना पड़ा है.
देश में 39 दिन बाद एक और चुनावी नतीजे आए हैं. ये नतीजे विधानसभा उपचुनाव के हैं. जो 7 राज्यों की 13 सीटों के हैं. लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सत्ता के इस नंबर गेम को सियासत के फिटनेस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा था. सवाल था INDIA गठबंधन NDA पर भारी पड़ेगा या लोकसभा चुनाव में जीत के बाद NDA को उपचुनाव के नतीजों का बूस्टर डोज मिलेगा. और अब इन सवालों के जवाब देश को मिल गए हैं.
सबसे पहले सियासी स्ट्राइक रेट पर एक नजर डालते हैं. जिन 7 राज्यों की 13 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हुए थे. उनमें से सिर्फ 2 सीट पर NDA को जीत मिली हैं जबकि INDIA को 10 सीट पर जश्न मनाने का मौका जनता ने दिया है. इसके अलावा एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को भी जीत मिली है. उसकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है. उपचुनाव में NDA को दो सीट मिली हैं. इस तरह से इसका स्ट्राइक रेट करीब 15 फीसदी के आसपास है, जबकि INDIA ने 75 फीसदी के धुआंधार स्ट्राइक रेट से इस परीक्षा को पास किया है.
अलग-अलग राज्यों में पार्टियों का स्कोर कार्ड कैसा रहा?
सबसे पहले बात मध्य प्रदेश की कर लेते हैं. जहां से बीजेपी के लिए एक शुभ समाचार आया है क्योंकि उसने कांग्रेस के गढ़ रहे छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में शामिल अमरवाड़ा सीट जीत ली है, जो कभी कांग्रेस के पास हुआ करती थी.
बीजेपी को सबसे बड़ा झटका पश्चिम बंगाल में लगा है. जहां 4 सीटों पर हुए उप चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी ने क्लीन स्वीप कर के बीजेपी को क्लीन बोल्ड कर दिया है. इनमें से तीन सीट ऐसी थी जो पहले बीजेपी के पास थीं.
सबसे बड़ा खेल बिहार में हुआ हैं. जहां जेडीयू और आरजेडी देखते रह गए और बाजी निर्दलीय उम्मीदवार ने मार ली. 13 में ये इकलौती ऐसी सीट है जहां निर्दलीय की सत्ता आई है.
पंजाब में 1 सीट पर हुए उपचुनाव में झाड़ू का जादू चला गया और जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली है.
कांग्रेस ने पहाड़ों में कमाल कर लिया क्योंकि हिमाचल प्रदेश की 3 सीट में उसे दो सीट पर जीत मिली है जबकि बीजेपी को एक जीत से संतोष करना पड़ा.
लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी को उपचुनाव में कांग्रेस ने खाली हाथ भेजा है और दोनों सीटों पर जीत हासिल की है.
इसके अलावा तमिलनाडु की विक्रवंदी विधानसभा सीट इंडिया गठबंधन की DMK के पास गई है.
बंगाल में टीएमसी की दीवार और मजबूत हुई
13 सीटों वाले इस उप चुनाव में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे जिस राज्य से आए हैं वो है पश्चिम बंगाल. जहां 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 3 से 77 सीट का सफर तय किया था, लेकिन चार सीटों के इस उपचुनाव में उसके लिए संकेत अच्छे नहीं है. उपचुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि बंगाल में TMC की राजनीतिक दीवारों का जोड़ और मजबूत हो गया है.
मानिकतला सीट से टीएमसी की सुप्ति पांडे 62 हजार से ज्यादा वोट से जीती. ये सीट टीएमसी के पास ही थी. रायगंज सीट से टीएमसी की कृष्ण कल्याणी ने बीजेपी कैंडिडेट को 50 हजार 77 वोट से हराया है. बागदा में ममता बनर्जी की उम्मीदवार मधुपर्णा ठाकुर ने 33 हजार 455 वोट से जीत हासिल की है. रानाघाट दक्षिण में भी कमल मुरझा गया है. टीएमसी के मुकुट मणि अधिकारी ने बीजेपी कैंडिडेट को 39 हजार वोट से हराया है.
बिहार की रूपौली में निर्दलीय ने पलटा गेम
बिहार की रुपौली विधानसभा सीट की बात करना भी जरूरी है. क्योंकि इस उपचुनाव में सबसे बड़ा खेला इसी सीट पर हुआ है. जहां JDU ने अपने सिलेबस में RJD के कैंडिडेट की और RJD ने अपने सिलेबस में जेडीयू की तैयारी की थी, लेकिन परीक्षा में निर्दलीय कैंडिडेट आ गए. यानी JDU और आरजेडी देखते रहे गए और सीट निर्दलीय उम्मीदवार के पास चली गई. जहां से शंकर सिंह को आठ हजार से ज्यादा वोट से जीत मिली जबकि जेडीयू के कलाधर मंडल दूसरे और आरजेडी की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं.
ये सीट जेडीयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफे से खाली हुई थी, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर दांव खेला था. हारने के बाद आरजेडी ने दोबारा उन्हें इसी सीट से कैंडिडेट बनाया, लेकिन वो इस बार तीसरे नंबर रहीं और सीट निर्दलीय शंकर सिंह के हिस्से में चली गई.
रूपौली में सभी जातीय समीकरण ध्वस्त
कभी कोसी के इलाके में नॉर्थ लाइब्रेशन आर्मी चलाने वाले शंकर सिंह ने बिहार के सभी सियासी दिग्गजों को मात देते हुए रूपौली विधानसभा का उपचुनाव जीत लिया है. एनडीए और इंडिया दोनों धड़ों में अपनी उपेक्षा से नाराज अगड़ों ने अपने गुस्से का संकेत देते हुए अगड़ा निर्दलीय शंकर सिंह को चुनाव जीता दिया है. रूपौली में राजद और जदयू दोनों ने गंगौता जाति के उम्मीदवार यानी अति पिछड़ों को टिकट दिया था. हालांकि सभी जातीय समीकरण को ध्वस्त करते हुए निर्दलीय शंकर ने जीत दर्ज की है.