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शुरू होने वाला है दुनियाभर में फेमस पुष्कर मेला, ऊंटों के डांस के साथ दिखेंगे अलग नजारे

अगर आपको राजस्थान की कला और संस्कृति को करीब से जानना, पहचाना और देखना है तो अगले महीने राजस्थान आने का तैयारी कर लीजिए. अजमेर से करीब 15 किलोमीटर दूर विश्व विख्यात तीर्थ नगरी पुष्कर के रेगिस्तान में बड़ा मेला लगने वाला है, जिसकी तारीखों की घोषणा हो गई है. कार्तिक महीने लगने वाला पुष्कर मेला 2 नवंबर 2024 से शुरू हो जाएगा. इस मेले में देसी पर्यटकों के साथ बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भाग लेते हैं. यहां पशुओं की बड़ी संख्या में खरीद फरोख्त होती है, जिसका आंकड़ा करोड़ों रुपये में चला जाता है. आइए जानते हैं पुष्कर पशु मेला क्यों भरता है और इसे जुड़ी क्या मान्यताएं हैं.

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होटल-गेस्ट हाउस में बुकिंग शुरू

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पुष्कर पशु मेले के कार्यक्रमों का कैलेंडर जारी होने से पहले ही विदेशी पर्यटकों ने आसपास के तमाम होटल, होम स्टे और गेस्ट हाउस को बुक करना शुरू कर दिया है. होटल व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों ने ऑनलाइन विदेशियों से संपर्क कर उनके लिए होटल में रूम बुक करना, पुष्कर फेयर के दौरान होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं की जानकारी देना और खाने-पीने सहित तमाम फैसिलिटी का पैकेज देना शुरू कर दिया है. पुष्कर मेला आगामी 2 नवंबर से 17 नवंबर तक चलेगा. 9 नवंबर को ध्वजा रोहण के साथ पुष्कर पशु मेले की विधिवद शुरुआत होगी. मेले को लेकर प्रशासनिक अधिकारी, पशु पालन और पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

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ऊंटों के करतब खीचेंगे सबका ध्यान

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स्थानीय लोगों का दावा है कि इस मेले का आयोजन 100 वर्षों से भी पहले से चला आ रहा है. हर वर्ष की तरह इस बार भी आसपास के ग्रामीण धार्मिक अनुष्ठान, लोक संगीत और नृत्य करके यहां समृद्ध हिंदू संस्कृति का जश्न मनाएंगे. रेगिस्तान की वजह से पुष्कर मेले में ऊंट का भी महत्व बढ़ जाता है. इस मेले में विदेशी पर्यटकों द्वारा दी जाने वाली हैरतअंगेज और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आकर्षण का केंद्र रहती हैं. इस मेले में ऊंट का बड़े स्तर पर व्यापार होता है. इसीलिए सभी लोग अपने-अपने ऊंटों को निराले अंदाज में सजाकर यहां लाते हैं. उनके गले में घंटियां लटकायी जाती हैं. रंग बिरंगे परिधानों से ऊंट को संवारा भी जाता है. यहां पशुओं की विभिन्न  प्रतियोगिताओं में शामिल होने और विजेता होने पर उन्हें सम्मानित भी पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है. यह देश में लगने वाला सबसे बड़ा पशु मेला भी है. इसीलिए देश से लेकर विदेशियों तक के लिए यह आकर्षण का केंद्र है.

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श्री पुष्कर पशु मेले में कब क्या होगा?

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जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए श्री पुष्कर पशु मेला 2024 मेला कार्यक्रम के अनुसार, संपूर्ण मेला अवधि 2 नवंबर शनिवार से 17 नवंबर रविवार तक कार्तिक शुक्ल एकम से मार्गशीर्ष कृष्ण दूज तक आयोजित किया जाएगा.

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  • 2 नवंबर को कार्तिक शुक्ल एकम से श्री पुष्कर पशु मेला कार्यालय की स्थापना होगी.
  • 4 नवंबर को कार्तिक शुक्ल तृतीया के मौके पर चौकियों की स्थापना होगी.
  • 9 नवंबर को कार्तिक शुक्ल अष्टमी के मौके पर पुष्कर पशु मेले का ध्वजारोहण होगा.
  • 10 नवंबर से पशुपालकों का रवना कटना शुरू हो जाएगा.
  • 12 नवंबर कार्तिक शुक्ल एकादशी के मौके पर विकास प्रदर्शनी और गीर प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा.
  • 9 से 14 नवंबर तक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी जारी रहेंगे.
  • 12 से 14 नवंबर तक अलग-अलग राज्यों से आए पशुपालकों द्वारा पशु प्रतियोगिताएं का भी आयोजन किया जाएगा.
  • 15 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के मौके पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जाएगा.
  • 17 नवंबर मार्ग शीर्ष कृष्ण दूज पर मेले का विधिवत्त समापन हो जाएगा. 

    15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा महास्नान

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    आगामी 9 नवंबर को झंडा चढ़ने के साथ धार्मिक मेला शुरू होगा. इसी दिन एकादशी और पंचतीर्थ स्नान साधु संतो के साथ होगा, जबकि 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा महास्नान होगा. धार्मिक मेले में देशभर से 13 अखाड़ों के साधु-संत जुटेंगे. देसी सैलानियों का भी सर्वाधिक आगमन इसी दौरान होगा. साधु संतों के स्नान से पहले पुष्कर तीर्थ नगरी के विभिन्न मार्गो से साधु संतों की धार्मिक यात्राएं भी निकाली जाती हैं. इस धार्मिक यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पुलिस जाप्ता भी बड़ी संख्या में तैनात रहता है.

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    15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा महास्नान

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    आगामी 9 नवंबर को झंडा चढ़ने के साथ धार्मिक मेला शुरू होगा. इसी दिन एकादशी और पंचतीर्थ स्नान साधु संतो के साथ होगा, जबकि 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा महास्नान होगा. धार्मिक मेले में देशभर से 13 अखाड़ों के साधु-संत जुटेंगे. देसी सैलानियों का भी सर्वाधिक आगमन इसी दौरान होगा. साधु संतों के स्नान से पहले पुष्कर तीर्थ नगरी के विभिन्न मार्गो से साधु संतों की धार्मिक यात्राएं भी निकाली जाती हैं. इस धार्मिक यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पुलिस जाप्ता भी बड़ी संख्या में तैनात रहता है.

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    70 से 80 लाख रुपये में मेले का आयोजन

  • पर्यटन विभाग द्वारा मेले में शिल्पग्राम, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताएं होंगी. इसके लिए राज्य सरकार से 70 लाख रुपये का बजट मांगा गया है. मेले के दौरान देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए क्रिकेट मैच, फुटबाल, रस्साकसी, सतोलिया और कबड्‌डी मैच का आयोजन होता है. ऊंट-घोड़ों की सजावट, नृत्य आदि की प्रतियोगिताएं होंगी. सैलानियों के लिए मूंछ, टरबन, दुल्हा-दुल्हन बनो, रंगोली, मांडना जैसी कई प्रतियोगिताएं भी मेले का हिस्सा होती हैं.

मेले में हजारों पुलिसकर्मी रहते हैं तैनात

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विश्व विख्यात श्री पुष्कर पशु मेले में कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर हजारों की संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए जाते हैं. चूंकि मेले में बड़ी संख्या में देसी विदेशी पर्यटक आते हैं. इस दौरान भीड़ का फायदा उठाते हुए चोर उचक्के जेब कतरे भी सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में किसी पर्यटक के साथ कोई चोरी या अनहोनी की वारदात ना हो, इस लिए पुलिस भी मुस्तैद नजर आती है.

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