राजस्थान के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सोमवार को सचिव शिखर अग्रवाल से मिलकर आरएएस परीक्षा 2018 की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. साथ ही किरोड़ी लाल ने परीक्षा में हुई धांधली को लेकर कई बड़े दावे किए. मंत्री डॉ. मीणा ने शिवसिंह राठौड़ की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए. बता दें कि उस समय के आरपीएससी चेयरमैन दीपक उप्रेती ने आरएएस 2018 की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांचने का समन्वयक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी शिवसिंह राठौड़ को दी थी.
18 दिन में जांची गई कॉपी
किरोड़ी लाल मीणा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि एमडीएस विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति आर.पी. सिंह ने उत्तर पुस्तिकाएं जांचने का कॉर्डिनेटर, प्रोफेसर शिवदयाल सिंह शेखावत को बनाया. बता दें कि शिवदयाल सिंह शेखावत की नियुक्ति काफी विवादों में रही थी. मंत्री ने कहा कि मात्र 18 दिन में उत्तर पुस्तिका की जांच पर भी संदेह जताया. उन्होंने कहा कि आरएएस 2018 का अंतिम परिणाम 13 जुलाई 2021 को घोषित किया. इसके कॉपी को वेबसाइट पर अपलोड किया जाना था, लेकिन 2 दिसम्बर 2021 को शिव सिंह राठौड के कार्यवाहक अध्यक्ष बनने के बाद कॉपी को वेबसाइट पर अपलोड करने का नोटिफिकेशन 17 दिसम्बर 2021 को निकाला. इसके बाद 10 जनवरी 2022 से 30 अप्रैल 2022 तक उत्तर पुस्तिकाएं अपलोड की गई.
छोड़े गए प्रश्नों को अभ्यर्थियों से भरवाया
मंत्री मीणा ने आरोप लगाया कि कॉपी में N.A. (Not Attempt) का उपयोग कर दर्जनों उत्तर पुस्तिकाओं में बाद में अंक बढ़ाने का काम किया गया. शिवसिंह राठौड़ की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए डॉ. मीणा ने कहा कि वह अपने चहेते अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं में जांच के दौरान अंक नहीं दे पाये तो उन्होंने छोड़ गये प्रश्नों को अभ्यर्थियों से भरवाया गया और अधिक अंक देकर कई आरएएस बनाया. कई अभ्यर्थियों के रोल नंबर का उदाहरण देते हुए बताया कि परीक्षा की कॉपियों में N.A. (Not Attempt) लिखा हुआ था. अंकशीट पर इनके अंक शून्य दर्शाये गये, यानी अभ्यर्थी ने परीक्षा के दौरान कुछ प्रश्नों का उत्तर ही नहीं लिखा.
तसल्ली से बैठकर अभ्यर्थियों ने लिखी कॉपी
अभ्यर्थी जब अच्छे अंक लाने असफल रहे तो शिवसिंह राठौड़ ने आरएएस 2018 की मुख्य परीक्षा की उत्तर कॉपी अपलोड कराने में जानबूझकर देरी की और परीक्षार्थी को कॉपी देकर छूटे हुए प्रश्नों के उत्तर भरवाकर कॉपी को अपलोड करवाया. इसके बाद अभ्यर्थी ने शिवसिंह राठौड को लिखित में इसकी शिकायत कर अपनी कापी में छूटे हुए उत्तरों को दोबारा जांचने की मांग की, जिसे शिवसिंह राठौड ने मानकर कापी को दौबारा जंचवाया गया और ऐसे कई लोगों को आरएएस बनाया गया. रोल नम्बर 809244 को लेकर कहा कि उत्तर पुस्तिका को अगर देखा जाए तो लगता है कि अभ्यर्थी 3 घंटे में इस तरह की राइटिंग में लिख नहीं सकता. ऐसे लगता है जैसे उत्तर पुस्तिका देकर उसे छुट्टी दे दी हो कि खूब तसल्ली से जवाब लिखो.
RPSC के अध्यक्ष दीपक उप्रेती पर उठाए सवाल
मंत्री मीणा का ये भी आरोप है कि तत्कालीन RPSC के अध्यक्ष दीपक उप्रेती की पत्नी जिस स्कूल में वाइस प्रिंसिपल थी. रोल नम्बर 809244 अभ्यर्थी के बच्चे भी इसी स्कूल में पढते थे. अभ्यर्थी और दीपक उप्रेती की पत्नी के पारिवारिक संबंध थे, जिसका फायदा उठाकर इस अभ्यर्थी ने खुद के साथ अपने परिवार से जुड़े अन्य अभ्यर्थियों को भी आरएएस में पास कराया. इसे लिखने में कम से कम पांच घंटे लगेंगे मतलब इनको उत्तर पुस्तिका उपलब्ध करवाकर लिखाया गया है. आरएएस 2018 में चूंकि शिवसिंह राठौड परीक्षा नियंत्रक था. कॉपी जांचकर्ता एजेन्सी और जांच समन्वयक ये सब राठौड़ के निजी लोग थे. ऐसे में सबकी मिलीभगत से उल्टफेर व्यापक स्तर पर हुआ और अपने चहेतों को रेबड़ी की तरह नम्बर बांटे गए.
साक्षात्कार में भी किया गया खेल
तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरपीएससी चेयरमैन भूपेन्द्र यादव को 13-16 अप्रैल 2021 तक फोर्स लीव पर भिजवाया और शिवसिंह राठौड़ अपनी मंशा के अनुसार साक्षात्कार बोर्ड का अध्यक्ष बना और पैसे लेकर सेकड़ों अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में रिकाॅर्ड तोड़ 70 से 82 प्रतिशत तक अंक दिये गये. जिनके लिखित में अंक कम थे, जिनमें उस समय की सरकार के कई बडे-बडे नेताओं व अफसरों के रिश्तेदार शामिल हैं. रोल नम्बर 820815 वाले अभ्यर्थी के आरएएस 2018 के साक्षात्कार के दौरान एक व्यक्ति ने चैयरमेन भूपेन्द्र यादव को वाट्सऐप पर मेसेज कर बताया कि इंटरव्यू में इन्हें 82 अंक दिये जा रहे हैं. रिजल्ट में इस अभ्यर्थी के 82 अंक ही आये है. इससे साबित होता है कि साक्षात्कार के दौरान पैसे लेकर अंको की बंदरबाट की गई.