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43 घंटे से भूखा-प्यासा है 5 साल का आर्यन, 6 तरीके फेल, अब सुरंग ही आखिरी उम्मीद

दौसा। रिपोर्ट टाइम्स।

बचपन की मासूमियत और परिवार की उम्मीदें, जब संकट में घिर जाती हैं, तो हर दिल एकजुट होकर समाधान की ओर देखता है। राजस्थान के दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में ऐसा ही एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ है। पांच साल का आर्यन, जिसने अभी दुनिया को ठीक से देखना भी नहीं सीखा, 39 घंटों से बोरवेल में फंसा हुआ है। एक नन्ही जान को बचाने की यह जंग न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे देश की चिंता का केंद्र बन चुकी है।

आर्यन के बचाव के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने छह बार कोशिश की, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी। दस जेसीबी और अन्य भारी मशीनों से खुदाई का काम भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। समय बीतता जा रहा है, और आर्यन से संपर्क टूटने के कारण तनाव और बढ़ गया है। अब, सवाई माधोपुर से लाई गई हाईटेक पाइलिंग मशीनों की मदद से सुरंग बनाकर बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास हो रहा है।

इस दौरान सबसे बड़ी चिंता यह है कि इतने लंबे समय से बोरवेल में फंसे रहने के कारण आर्यन को पानी या अन्य कोई मदद नहीं पहुंचाई जा सकी है। परिवार की बेचैनी और प्रशासन की चुनौतियां इस आपदा को और भी गंभीर बना रही हैं।

परिवार और प्रशासन की बढ़ी चिंता

5 वर्षीय आर्यन को बोरवेल से निकालने के सभी प्रयास अब तक विफल रहे हैं। 41 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है, और आर्यन तक न खाना पहुंचाया जा सका है, न पानी। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की छह कोशिशें असफल रहीं, और 10 जेसीबी तथा अन्य मशीनों से की गई खुदाई भी नाकाम साबित हो रही है। परिवार और प्रशासन की चिंता लगातार बढ़ रही है।

देसी जुगाड़ भी साबित हुए नाकाम

सोमवार शाम से लेकर मंगलवार रात तक एनडीआरएफ की टीम ने 6 अलग-अलग देसी जुगाड़ अपनाए।

  1. पांचवां प्रयास: बोरवेल में अम्ब्रेला उपकरण इन्स्टॉल किया गया।
  2. छठा प्रयास: रिंग डालकर आर्यन के हाथ-पैर में रस्सी फंसाने का प्रयास किया गया।

लेकिन, ये सभी उपाय असफल रहे। रस्सी बच्चे को पकड़ने में सफल नहीं हो सकी, जिससे मासूम अब भी बोरवेल में फंसा हुआ है।

10 दिसंबर, रात और सुबह

रात 1 बजे: देसी जुगाड़ का इस्तेमाल शुरू किया गया।

रात 2:35 बजे: देसी जुगाड़ से सफलता नहीं मिली।

  • रात 3 बजे: 2 एलएनटी मशीनें ऑपरेशन के लिए पहुंचीं।
  • सुबह 6 बजे: एनडीआरएफ के प्रयास फिर असफल रहे।
  • सुबह 8 बजे: बोरवेल में एल-शेप की प्लेट उतारी गई।
  • सुबह 9:30 बजे: अंब्रेला उपकरण को बोरवेल में डाला गया।
  • दोपहर 1 बजे: बोरवेल में रिंग उतारी गई।
  • दोपहर 3 बजे: एनडीआरएफ ने ऑपरेशन होल्ड किया।
  • दोपहर 3:40 बजे: रेस्क्यू ऑपरेशन फिर से शुरू हुआ।

    कब और कैसे हुआ हादसा 9 दिसंबर, दोपहर

    दोपहर 3 बजे: 5 वर्षीय आर्यन बोरवेल में गिरा।

    शाम 4 बजे: एसडीएम और स्थानीय रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर पहुंची।

    शाम 4:30 बजे: सिविल डिफेंस की टीम ने ऑपरेशन शुरू किया।

    शाम 5 बजे: बोरवेल में ऑक्सीजन पाइप से सप्लाई शुरू की गई।

    शाम 6 बजे: जयपुर से एसडीआरएफ की टीम पहुंची।

    शाम 7 बजे: बोरवेल में कैमरे की मदद से आर्यन को देखा गया।

    रात 9 बजे: एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची।

    10 दिसंबर, रात और सुबह

    रात 1 बजे: देसी जुगाड़ का इस्तेमाल शुरू किया गया।

    रात 2:35 बजे: देसी जुगाड़ से सफलता नहीं मिली।

    • रात 3 बजे: 2 एलएनटी मशीनें ऑपरेशन के लिए पहुंचीं।
    • सुबह 6 बजे: एनडीआरएफ के प्रयास फिर असफल रहे।
    • सुबह 8 बजे: बोरवेल में एल-शेप की प्लेट उतारी गई।
    • सुबह 9:30 बजे: अंब्रेला उपकरण को बोरवेल में डाला गया।
    • दोपहर 1 बजे: बोरवेल में रिंग उतारी गई।
    • दोपहर 3 बजे: एनडीआरएफ ने ऑपरेशन होल्ड किया।
    • दोपहर 3:40 बजे: रेस्क्यू ऑपरेशन फिर से शुरू हुआ।
    • 10 दिसंबर, शाम और रात

      • शाम 6 बजे: सवाई माधोपुर से पाइलिंग मशीन घटनास्थल पर पहुंचाई गई।
      • रात 8:30 बजे: मंत्री किरोड़ी लाल मीणा मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य का जायजा लिया।

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