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किसान दिवस गोविन्द सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर क्यों साधा निशाना

रिपोर्ट टाइम्स।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान दिवस उन किसानों के संघर्ष और योगदान को सम्मान देने का दिन है, जो अपनी मेहनत से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। परंतु इस बार राजस्थान से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने सरकार की नीतियों और प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। झुंझुनू जिले के एक किसान द्वारा अपनी जमीन के अधिग्रहण और मुआवजा न मिलने से परेशान होकर इच्छामृत्यु की धमकी देने के बाद जो घटनाक्रम सामने आया, उसने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है।

किसान की सुरक्षा के नाम पर जिला प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की, जिसका खर्च 9.91 लाख रुपये बताकर किसान को नोटिस थमा दिया। इस अमानवीय रवैये पर राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने बीजेपी की सरकार को आड़े हाथों लिया। डोटासरा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पहले किसान को उसकी जमीन से वंचित करना, फिर उचित मुआवजा न देकर उसे आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर करना, और अब पुलिस जाब्ते का खर्च किसान से वसूलने की कोशिश करना न केवल अन्याय है, बल्कि किसानों के प्रति सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।

डोटासरा ने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए इसे किसान विरोधी करार दिया और मांग की कि किसान को न्याय दिया जाए। कांग्रेस ने इस घटना को मुद्दा बनाते हुए किसानों के प्रति सरकार के रवैये को उजागर करने का ऐलान किया है।

अन्नदाता की आर्थिक उन्नति का रास्ता कैसे होगा सशक्त?

किसान दिवस के मौके पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जहां उद्योगपतियों को हर तरह की छूट और अधिकार दिए जा रहे हैं, वहीं किसानों को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है। “ना एमएसपी की गारंटी, ना मुआवजा, और ना ही कोई सरकारी सहयोग…ऐसे में अन्नदाता की आर्थिक उन्नति का रास्ता कैसे सशक्त होगा?” डोटासरा ने भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए इसे किसान विरोधी करार दिया।

क्यों भाजपा सरकार किसानों की आवाज को अनसुना कर रही है?

डोटासरा ने भाजपा की नीतियों को पूंजीपतिपरस्त बताते हुए कहा कि किसान दिवस भाजपा के लिए महज एक दिखावा बन गया है। उन्होंने पूछा, “भाजपा सरकार किसानों की आवाज को अनसुना कर क्यों पूंजीपतियों का भाग्य चमका रही है? आखिर क्यों किसान को आत्मनिर्भर बनाने की जगह उसे कर्ज और वसूली के बोझ तले दबाया जा रहा है?” उन्होंने इसे किसानों के साथ गहरी अन्यायपूर्ण नीति बताते हुए इसे भाजपा की संवेदनहीनता का उदाहरण कहा।

राष्ट्रीय किसान दिवस पर भाजपा को आत्मचिंतन की जरूरत

डोटासरा ने चौधरी चरण सिंह की जयंती पर भाजपा सरकार से आत्मचिंतन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसान दिवस केवल भाषण देने का दिन नहीं है, बल्कि किसानों की वास्तविक समस्याओं को हल करने का अवसर है। “अगर सरकार ने किसान के हक और सम्मान को नहीं समझा, तो यह देश के अन्नदाता के साथ सबसे बड़ा धोखा होगा,” डोटासरा ने चेतावनी दी।

राष्ट्रीय किसान दिवस और चौधरी चरण सिंह की विरासत

23 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जयंती पर राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। डोटासरा ने कहा कि चरण सिंह ने किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए जो दृष्टिकोण अपनाया था, आज उसकी कमी भाजपा सरकार में स्पष्ट नजर आती है। उन्होंने सरकार से किसानों के प्रति अपनी नीतियां सुधारने और उनके हितों की रक्षा करने की मांग की।

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