रिपोर्ट टाइम्स।
राजस्थान विधानसभा सत्र में चल रहे गतिरोध को सुलझाने के लिए एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सरकार और विपक्ष दोनों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया, जिसमें सरकार की ओर से मंत्री जोगाराम पटेल और विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली समेत कई अन्य नेता मौजूद रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य विधानसभा सत्र में जारी गतिरोध को खत्म कर, एक सुलझे हुए समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना था। राजनीतिक गलियारों में इस बैठक को लेकर काफ़ी चर्चाएँ हैं, और सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या इससे सियासी टकराव का हल निकल पाएगा।
सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने साफ किया कि सरकार जब तक फोन टैपिंग के मुद्दे पर जवाब नहीं देती, तब तक विधानसभा को सुचारू रूप से चलने नहीं दिया जाएगा। उनके इस रुख से यह संकेत मिलते हैं कि विपक्ष सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। विधानसभा के आगामी सत्र को लेकर सियासी माहौल और भी तनावपूर्ण होता जा रहा है।
विपक्ष के सवालों से बच पाती है या नहीं
मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार बजट पेश करने के बाद विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लेकिन विपक्ष के नेता ने यह सवाल उठाया है कि क्या सरकार वाकई जवाब देने के लिए तैयार है, या फिर अपनी चुप्पी को बनाए रखेगी। इस राजनीतिक गतिरोध में यह बड़ा सवाल बना हुआ है कि क्या सरकार विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी सवालों का सही तरीके से सामना कर पाएगी या फिर यह संकट और गहरा होगा।
सियासी गतिरोध का असर राज्य के विकास पर
राज्य के बजट सत्र के दौरान इस सियासी गतिरोध का असर राज्य के विकास योजनाओं और आम जनता के मुद्दों पर पड़ सकता है। विपक्षी दलों ने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार के रवैये से राज्य के विकास को कोई नुकसान न पहुंचे। ऐसे में अब यह देखना होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच यह गतिरोध किस रूप में खत्म होता है और क्या विधानसभा सत्र आम जनता के मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रभावी साबित होगा।