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‘भील प्रदेश’ बनाने की मांग को लेकर मानगढ़ धाम में जुटे हज़ारों आदिवासी, दोहराया अलग प्रदेश का संकल्प

REPORT TIMES : अलग ‘भील प्रदेश’ बनाने की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय के लोग बृहस्पतिवार को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एकत्रित हुए और सभा की. यह कार्यक्रम ‘भील प्रदेश’ मुक्ति मोर्चा और आदिवासी परिवार के बैनर तले आयोजित किया गया. इसका उद्देश्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ जिलों को मिलाकर एक अलग ‘भील प्रदेश’ बनाने की मांग पर जोर देना है. सभा को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.

आदिवासी परिवार के संस्थापक सदस्य कांतिलाल रोत ने कहा, ‘भील प्रदेश की मांग कई साल से की जा रही है. हमने कई बार आंदोलन किए और आगे भी करते रहेंगे.’ उन्होंने बताया कि राजस्थान और अन्य राज्यों के लोगों ने राजस्थान-मध्य प्रदेश सीमा पर बांसवाड़ा में स्थित मानगढ़ धाम में आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लिया.

बड़ी संख्या में रैली में जुटे थे लोग 

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को, बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया पर ‘भील प्रदेश’ का कथित ‘नक्शा’ साझा किया. उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में रैली में शामिल होने का आह्वान भी किया. रोत ने सोशल मीडिया पर कहा था, ‘भील प्रदेश की मांग आजादी के पहले से ही उठती आई है, क्योंकि यहां के लोगों की संस्कृति, भाषा, बोली और रीति रिवाज दूसरे प्रदेशों से अलग हैं और आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को बचाने और उसके संरक्षण के लिए जरूरी है.”

राठौड़ ने किया था विरोध 

इसके जवाब में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राजेंद्र राठौड़ ने इस नक्शे की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक और राज्य-विरोधी कदम बताया. उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “राजस्थान की आन, बान और शान को तोड़ने की साजिश कभी सफल नहीं होगी. बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद राजकुमार रोत द्वारा जारी किया गया तथाकथित ‘भील प्रदेश’ का नक्शा एक शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक स्टंट है. यह न केवल गौरवशाली राजस्थान की एकता पर चोट है बल्कि आदिवासी समाज के नाम पर भ्रम फैलाने और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश भी है.”

रोत ने किया था पलटवार 

रोत ने इसके जवाब में लिखा कि भारत के संविधान में नवीन राज्यों के निर्माण और पुनर्गठन के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख है और स्वतंत्र भारत में विभिन्न आधार पर कई नए राज्यों का गठन हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘भील प्रदेश’ भी राज्य बनने के लिए भाषाई-सांस्कृतिक-भौगोलिक एकरूपता, संसाधनों का असमान वितरण एवं आर्थिक विकास की जरूरत जैसे विभिन्न मापदंड पूरे करता है.

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