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रैवासा धाम में गूंजा ‘हिंदू राष्ट्र’ का जयघोष, मोहन भागवत ने कहा- भारत ही पूरे विश्व को धर्म देगा

REPORT TIMES : राजस्थान के सीकर जिले में स्थित ऐतिहासिक रैवासा धाम (Raiwasa Dhaam) इस वक्त आध्यात्मिक और वैचारिक मंथन का केंद्र बना हुआ है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) मंगलवार को यहां एक बड़े आयोजन में शामिल होने पहुंचे हैं. उन्होंने संत राघवाचार्य जी महाराज की मूर्ति का अनावरण और एक वेद विद्यालय का लोकार्पण किया है. इसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को मजबूती से रखते हुए भारत को विश्वगुरु की भूमिका में देखा.

यह पूरा आयोजन रैवासा धाम में 9 दिनों तक चलने वाले एक विशाल धार्मिक कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसमें देश भर से साधु-संतों का जमावड़ा लगा हुआ है. इस कार्यक्रम में योगगुरु रामदेव और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री भी शिरकत करने वाले हैं.

भागवत ने दिया ‘हिंदू राष्ट्र’ पर जोर

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में हिंदू राष्ट्र की बात को कई बार दोहराया. उन्होंने कहा, ‘हिंदू राष्ट्र और हिंदुओं की उन्नति और प्रगति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गठन हुआ.’ उन्होंने यह भी कहा कि रैवासा धाम का वातावरण और यहां की तपस्या भी इसी दिशा में काम कर रही है. उन्होंने रैवासा धाम के वर्तमान पीठाधीश्वर राजेंद्रदास देवाचार्य जी महाराज के प्रयासों की सराहना की और कहा कि भले ही उनका परिचय थोड़ा ही है, लेकिन वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. भागवत ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ही पूरे विश्व को धर्म देने में अग्रणी है और दुनिया का कल्याण चाहने वाला एकमात्र राष्ट्र है.

भारत के लोकतंत्र और प्रगति की तारीफ

अपने भाषण में भागवत ने भारत के लोकतंत्र और उसकी प्रगति की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि भारत ने आजादी के बाद उन सभी भविष्यवाणियों को गलत साबित कर दिया, जिनमें कहा गया था कि भारत जैसे देश में लोकतंत्र नहीं चल सकता. उन्होंने कहा, ‘प्रजातंत्र के मामले में पूरी धरती पर भारत सबसे आगे है.’ उन्होंने इस सफलता का श्रेय संतों और ऋषियों के प्रताप को दिया. भागवत ने कहा कि यह संतों की ही कृपा है कि हम ऋषियों की कही बातों का अनुसरण कर रहे हैं और यही कारण है कि भारत लगातार तरक्की कर रहा है.

रैवासा धाम की ऐतिहासिक महत्ता

मोहन भागवत ने रैवासा धाम के ऐतिहासिक महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह स्थान तुलसीदास समेत कई दिव्य संतों के आगमन और जुड़ाव का गवाह रहा है. भागवत ने विश्वास जताया कि यह स्थान उसी महान परंपरा को आगे बढ़ाता रहेगा.

वैश्विक जिम्मेदारी और सनातन संस्कृति

भागवत ने कहा कि सनातन संस्कृति अनादिकाल से चली आ रही है और आज भी जारी है. उन्होंने कहा कि भारत संपन्न हो या निर्धन, उसने हमेशा अपना काम किया है. आज भारत दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच अपना स्थान बना रहा है. उन्होंने यह भी कहा, ‘जो श्रेय हमें मिला है, उसे दुनिया को देना चाहिए. इसलिए भारत राष्ट्र का निर्माण हुआ है.’

ये विशेष अतिथि रहे मौजूद

इस पूरे कार्यक्रम में कथावाचक आचार्य इंद्रेश उपाध्याय, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, धोद विधायक गोरधन वर्मा, खंडेला विधायक सुभाष मील और पूर्व सांसद सुमेधानंद सरस्वती सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे. भागवत के इस दौरे से राजस्थान में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति को एक नई ऊर्जा मिलने की संभावना जताई जा रही है.

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