REPORT TIMES : 15वें उपराष्ट्रपति के लिए मंगलवार को मतदान जारी है। संसद में वोटिंग सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगी। पीएम मोदी ने पहला वोट डाला। एनडीए ने 68 साल के सीपी राधाकृष्णन को तो INDIA ने 79 साल के बी सुदर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाया है। इस चुनाव में कुल 781 सांसद वोट डालेंगे। वोटों की गिनती शाम 6 बजे से शुरू होगी। इसके बाद परिणाम घोषित होंगे।
इस बीच, KCR की पार्टी BRS और ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक की पार्टी BJD ने उपराष्ट्रपति चुनाव से किनारा कर लिया है। दोनों पार्टी किसी भी गठबंधन का समर्थन नहीं करेंगी। राज्यसभा में बीआरएस के 4 और BJD के 7 सांसद हैं।लोकसभा में इकलौते सांसद वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी पंजाब में बाढ़ के चलते वोट डालने से इनकार कर दिया है। AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि इस चुनाव में वे INDIA के प्रत्याशी को समर्थन करेंगे। YSRCP के 11 सांसदों ने NDA उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने का फैसला किया है। जीता उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की जगह लेगा। धनखड़ ने 21 जुलाई को खराब सेहत का हवाला देकर अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।
व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं पार्टियां
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कोई भी दल अपने सांसदों को व्हिप जारी नहीं कर सकता है, यानी वोट करने या फिर उपस्थित रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव किसी भी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं होता है, यही वजह है कि इसे लेकर व्हिप जारी नहीं होता है.
वोट डालने की आजादी
उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट करने की आजादी मिलती है, यानी इसमें अगर कोई बीजेपी सांसद चाहे तो वो कांग्रेस या विपक्ष के उम्मीदवार को भी वोट कर सकता है. यही नियम दूसरी तरफ भी लागू होता है, अगर कोई विपक्षी सांसद चाहे तो वो एनडीए के उम्मीदवार को वोट डाल सकता है. ऐसा करने वाले सांसद के खिलाफ कानूनी तौर पर कोई भी एक्शन नहीं लिया जा सकता है. यही वजह है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग के मामले देखे जाते हैं.
एंटी डिफेक्शन लॉ नहीं होता है लागू
क्योंकि पार्टी के चुनाव चिन्ह पर उपराष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ा जाता है, ऐसे में क्रॉस वोटिंग करने वाले किसी भी सांसद के खिलाफ दल बदल कानून लागू नहीं होता है. यानी चाहकर भी कोई दल अपने नेता के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. हालांकि अपने पार्टी नियमों के अनुसार ऐसे सांसदों को कारण बताओ नोटिस भेजा जा सकता है.