चिड़ावा।संजय दाधीच
हनुमान जयंती के मौके पर चिड़ावा का प्राचीन गढ़ वाला बालाजी मंदिर जगमगा रहा है। मंदिर में सुबह से आ रहे श्रद्धालुओं को छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया जा रहा है। मंदिर परिसर में बालाजी महाराज के दरबार को फूलों से सजाया गया है। इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक रहा है। जहां अब पुलिस थाना है, वहां गढ़ का निर्माण किया गया और इस गढ़ के बिल्कुल सामने विक्रमी संवत 1800 में खेतड़ी ठिकाने के ठाकुर किशनसिंह ने कुएं का निर्माण करवाया। इसी कुएं की खुदाई के दौरान बालाजी की स्वयंभू मूर्ति निकली। ठाकुर किशनसिंह ने एक तिबारे का निर्माण कराकर बालाजी महाराज को विराजित किया।
पहले नागा साधु करते थे पूजा
इस मंदिर में आजादी से पहले नागा साधु पूजा किया करते थे। बाद में चिड़ावा के स्वामी परिवार ने पूजा का जिम्मा संभाला। इसके बाद यहां एक संगमरमर की मूर्ति भी विराजित की गई।
खेतड़ी के झण्डे पर भी विराजित हुए हनुमान
नुमानबताया जाता है कि खेतड़ी ठिकाने के झंडे में भी बालाजी महाराज की तस्वीर भी मन्दिर बनने के बाद अंकित की जाने लगी है। करीब सवा सौ साल तक नीचे तिबारे में ही बालाजी की मूर्तियां विराजित रहीं। इसके बिल्कुल सामने बैठकर ही खेतड़ी ठिकाने के राजा जनसुनवाई करते थे।