reporttimes
Advertisement
पानी की बढ़ती कमी के कारण मानवता भी पानी पानी हो रही है। ‘नानी याद आना’ मुहावरा जगह जगह बह रहा है। जिसे पानी मिल जाता है व्यवस्था को नहीं कोसता, पड़ोसी को नहीं बताता। वैसे तो आजकल पड़ोसी मिलते जुलते नहीं। साफ़ पानी मिलना लाटरी खुलने जैसा हो गया है। तालाबों को दफन करने के बाद अब उनकी कब्रें खोदी जा रही हैं। राजनेता अगर जादूगर होते तो लोगों को हिप्नोटाइज़ करते और उन्हें महसूस करा देते हमारे पास बहुत पानी है। उन्हें हर घर में नल चिपकाने की ज़रूरत नहीं रहती। ईश्वर मुस्कुरा रहे हैं। असलीयत का सांप सिहरन पैदा कर देता है।
Advertisement
Advertisement