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राजस्थान विधानसभा में राजेंद्र गुढ़ा ने महिला सुरक्षा के मसले पर अपनी ही सरकार को घेरा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया. पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान दो महिलाओं के साथ नीचता बरते जाने को लेकर देशभर में आक्रोश है. सोशल मीडिया से संसद तक ये मसला उठाया जा रहा है. राजस्थान विधानसभा में भी ये मसला उठा तो राज्य सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा खड़े हुए और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मसले में मणिपुर से पहले अपने गिरेबान में झांकने की सलाह राजस्थान सरकार को दे बैठे. शाम होते-होते राजेंद्र गुढ़ा के सामने लगने वाले मंत्री के पद को उनसे वापस ले लिया गया. गहलोत सरकार की तरफ से ये कदम उठाए जाने की उम्मीद भी थी, क्योंकि चार महीने में सूबे में चुनाव हैं और विपक्ष में बैठी बीजेपी इस मसले पर उन्हें घेरने की पूरी तैयारी में है. ऐसे में वो हरगिज भी इस मसले को हवा देने की नादानी तो नहीं करते. हालांकि महिलाओं के खिलाफ अपराध की पताका अपनी ही सरकार के खिलाफ उठाने वाले राजेंद्र गुढ़ा भी पहले कई बार महिलाओं को लेकर दिए बयानों और उनके जरिए झलकती अपनी सोच के चलते बीजेपी के निशाने और सुर्खियों में रह चुके हैं.
सीता इतनी सुंदर थीं कि उनके पीछे पागल थे राम-रावण
चाहे सड़कों की तुलना अभिनेत्री कैटरीना कैफ के गालों से करने का मसला हो या माता सीता पर दिया बयान, राजेंद्र गुढ़ा अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं, जिसको लेकर उनपर महिला विरोधी होने का ठप्पा लगता रहा है. इसी साल की शुरुआत में उन्होंने माता सीता को लेकर ऐसा बयान दिया कि गहलोत सरकार निशाने पर आ गई थी. गुढ़ा ने माता सीता की तुलना खुद से करते हुए कहा कि सीता बहुत सुंदर थीं और उनकी सुंदरता के पीछे राम और रावण पागल थे. ऐसे ही आज मेरे गुणों के कारण गहलोत और पायलट दोनों ही भाग रहे हैं.
माता सीता पर बयान देने के बाद धार्मिक भावना आहत करने को लेकर तो बीजेपी ने उन्हें घेरा ही था, साथ ही महिलाओं के प्रति उनकी नजर पर भी जमकर फब्तियां कसी गईं. तब गुढ़ा के निर्वाचन क्षेत्र झुंझनू के उदयपुरवाटी में बीजेपी ने ही उनकी सद्बुद्धि के लिए हवन कराया. इसी उदयपुरवाटी से गुढ़ा बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. हालांकि चुनावों के कुछ दिनों बाद ही गुढ़ा समेत राजस्थान में BSP के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए.
हेमा मालिनी बूढ़ी हो गई, कैटरीना के गाल जैसी हो सड़क
अशोक गहलोत ने इनमें से राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री बनाया. मंत्री बनने के बाद गुढ़ा अपने क्षेत्र में जनता के बीच पहुंचे. इस दौरान जब उनसे लोगों ने इलाके में सड़क बनाए जाने के लिए कहा तो गुढ़ा ने सार्वजनिक मंच से जो बोला, वो भी विवाद का रूप लेते हुए उनके सामने खड़ा हो गया. गुढ़ा ने सड़क बनाए जाने की मांग पर इंजीनियर से कहा कि अब हेमा मालिनी तो बूढ़ी हो गई है, यहां की सड़कें कैटरीना कैफ के गालों जैसी होनी चाहिए. ये बयान उनकी जुबान से यूं ही नहीं फिसला था, बल्कि तीन-तीन बार उन्होंने ये बात माइक पर कही. तब भी गुढ़ा बीजेपी और महिलाओं के मुद्दे उठाने वालों के निशाने पर थे.
कार्रवाई कर के तो दिखा छठी का दूध याद दिला देंगे…
अपने विवादित बोल और छवि को लेकर गुढ़ा हमेशा से ही संदेह के घेरे में खड़े दिखाई पड़ते हैं. BSP छोड़ जब गुढ़ा कांग्रेस से जुड़े तो शुरुआत में तो वो गहलोत खेमे के ही माने जाते थे, लेकिन 2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान वो पायलट के कसीदे पढ़ने लगे. हाल ही में जब पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अनसन किया तो पार्टी नेतृत्व उनपर एक्शन लेने का सोच रहा था. इसी दौरान गुढ़ा ने पार्टी नेतृत्व को खुला चैलेंज देते हुए कहा कि कोई पायलट पर कार्रवाई कर के तो दिखाए, उसे छठी का दूध याद दिला देंगे.
BJP के शेखावत ने कहा था गुढ़ा को बिन पेंदे का लोटा
हालांकि पार्टी नेतृत्व ने पूर्व में गुढ़ा पर कोई एक्शन नहीं लिया, न ही गहलोत ने कोई कार्रवाई की, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इस बार उन्होने सरकार की खिलाफत ऑन रिकॉर्ड और सदन के भीतर की है. ऐसे में उन्हें तुरंत मंत्रिपद से हटा दिया गया है. राजेंद्र गुढ़ा ने जो सदन में कहा वो बीजेपी की पॉलिटिक्स को सूट कर रहा है, इसलिए वो इसका उपयोग जरूर कर रहे हैं, लेकिन राजेंद्र गुढ़ा पर यकीन करने को तो बीजेपी भी हरगिज राजी न होगी. बीजेपी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत तो पहले ही राजेंद्र गुढ़ा को बिना पेंदे का लोटा बता चुके हैं. जो कभी भी अपना पाला बदल सकता है.