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10 महीने पहले गहलोत बोले थे- गुढ़ा नहीं होते तो मैं आज मुख्यमंत्री न होता, अब खुद ही किया बर्खास्त

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झुंझनू के उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा को अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने पर मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया. करीब 20 महीने पहले गहलोत सरकार में मंत्री बने राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने 21 नवंबर 2021 को ही मंत्री पद की शपथ ली थी और 21 जुलाई को उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया. तीन साल पहले गहलोत सरकार के संकट मोचक रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा पिछले दस महीनों से सचिन पायलट के नजदीक थे. इससे पहले वो सीएम गहलोत के करीबी माने जाते थे. 10 महीने पहले मंत्री गुढ़ा के बेटे के जन्मदिन पर आयोजित सभा में आए सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि गुढ़ा नहीं होते तो मैं आज सीएम नहीं होता, सियासी संकट के समय गुढ़ा ने सरकार बचाने में साथ दिया. हालांकि इसके कुछ समय बाद से ही सीएम और गुढ़ा के बीच नाराजगी बनती चली गई. नीमकाथाना थाने में अपहरण का मामला दर्ज होने पर वो सीएम से खफा थे. उनका मानना था कि सीएम के इशारे पर उनके खिलाफ मुकदमा हुआ है.

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गुढ़ा के जरिए गहलोत ने दिया सबको मैसेज?

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इसी क्रम में शुक्रवार को विधानसभा में मणिपुर मामले पर अपनी ही सरकार को गिरेबान में झांकने की सलाह उन्होंने दे डाली. इसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. सियासी मायनों में मुख्यमंत्री ने राजेंद्र गुढ़ा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करते हुए यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी और सरकार के खिलाफ बोलने वालों को बक्शा नहीं जाएगा. इससे पार्टी के अन्य विधायकों और मंत्रियों को कड़ा संदेश गया है कि पार्टी अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी.

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ओवैसी से मुलाकात के बाद गुढ़ा पर एक्शन!

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इस कार्रवाई के बाद अब आगे सवाल उठ रहे हैं कि क्या मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद राजेंद्र गुढ़ा पार्टी का दामन छोड़ सकते हैं? या वे किसी अन्य पार्टी या निर्दलीय ही चुनाव लड़ सकते हैं? इन कयासों के पीछे हाल ही में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी से उनकी मुलाकात भी है. पिछले दिनों जयपुर में अस्सदुद्दीन ओवैसी के दौरे के दौरान उनकी मुलाकात से यह माना जा रहा था कि गुढ़ा कांग्रेस सरकार से असंतुष्ट हैं. पहले भी गुढ़ा ने अपने बयानों से पार्टी को असहज किया है, लेकिन तब उनपर कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि ओवैसी से मुलाकात के बाद अब उनपर कार्रवाई, इस बिंदु पर भी अपना ध्यान खींच रही है.

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जब कैबिनेट मंत्री न बनाने पर खफा हुए गुढ़ा

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राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस की अल्पमत सरकार को सहारा देने के लिए 2019 में सितंबर महीने में अपने पांच साथी विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी. तब से वे अशोक गहलोत खेमे के विश्वसनीय माने जाते थे, लेकिन सबसे पहली उनकी नाराजगी मंत्रिमंडल विस्तार के समय हुई थी. जब नवंबर 2021 में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था, जबकि वे कैबिनेट मंत्री का पद चाह रहे थे. उस समय गुढ़ा ने कहा था कि उनके लाए हुए व्यक्ति को उन पर मंत्री बना दिया गया. गुढ़ा ने कुछ समय तक गाड़ी भी नहीं ली थी.

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पायलट को गांव बुला गहलोत को दिया मैसेज

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हालांकि तब गहलोत ने उन्हें मना लिया था और शीघ्र ही मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का भरोसा दिया. मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी पर भी गुढ़ा ने कहा था कि शादी जवानी में ही अच्छी लगती है. हालांकि मंत्री बनाए जाने के बाद वो सीएम गहलोत पर ही हमलावर होने लगे. सितंबर 2022 के बाद वे सीएम गहलोत की मुखालफत करने लग गए. अक्टूबर में वे पायलट खेमे में चले गए. जनवरी 2023 में उन्होंने पायलट की अपने गांव गुड़ा में सभा करवाकर गहलोत को संदेश भी दे दिया था कि वे अब उनके साथ नहीं है. इसके बाद से वे पायलट के समर्थन में खुलकर बोलने लगे.

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