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भार्गव और वाघेला ही नहीं, हो रहे हैं एक के बाद एक इस्तीफे… गुजरात बीजेपी में आखिर चल क्या रहा है?

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गुजरात बीजेपी में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी के प्रदेश महासचिव पद से प्रदीप सिंह वाघेला ने इस्तीफा दे दिया है. पिछले चार महीने में यह दूसरे प्रदेश महासचिव का इस्तीफा है. इससे पहले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से बीजेपी में आए भार्गव भट्ट की प्रदेश महासचिव पद से छुट्टी और अब प्रदीप वाघेला की विदाई सियासी चर्चा का विषय बनी हुई है. इतना ही नहीं वडोदरा शहर के बीजेपी महासचिव सुनील सोलंकी भी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गुजरात बीजेपी में चल क्या रहा है और एक के बाद एक इस्तीफे क्यों हो रहे हैं ? बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के करीबी और छात्र राजनीति से आए प्रदीप सिंह वाघेला गुजरात के पार्टी महासचिव में सबसे ताकतवर माने जाते थे. प्रदेश संगठन और सत्ता के शक्ति केंद्र कमलम् की जिम्मेदारी प्रदीप सिंह वाघेला ही संभाल रहे थे. ऐसे में उनके इस्तीफे से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि एक जमीन सौदेबाजी में वाघेला का नाम आने के बाद उनका इस्तीफा लिया गया, जिसकी जांच पुलिस की एसओजी टीम कर रही है. लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे गुजरात बीजेपी में ‘अंतर्कलह’ तेज होती जा रही है. पिछले दिनों सूरत में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल, संदीप देसाई और प्रभुभाई वसावा पर भ्रष्टाचार के आरोपों वाले पर्चे वायरल किए गए थे, जिसे लेकर 3 लोगों के खिलाफ क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज कराई गई है. सीआर पाटिल को बदनाम करने के लिए साजिश रचने के लिए पर्चा कांड करने की शिकायत की गई है. वायरल पर्चे में फंड की धांधली के आरोप लगाए थे. इतना ही नहीं वडोदरा में बीजेपी नेता ही आमने-सामने आ गए हैं, जिसे लेकर पार्टी की किरकिरी भी हो रही है.

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महज संयोग है या कोई सियासी प्रयोग

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वडोदरा में बीजेपी नेताओं ने ही बीजेपी मेयर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वडोदरा मेयर नीलेश राठौड़ के खिलाफ बीजेपी के नेता अल्पेश लिंबाचिया ने भ्रष्टाचार के आरोपों वाले पर्चे बांटे थे. लिंबाचिया को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया है और उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जिन्हें बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया है. इस प्रकरण के बीच सुनील सोलंकी ने वडोदरा के महासचिव पद से इस्तीफा दिया. सोलंकी वडोदरा के मेयर भी रह चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि सुनील सोलंकी और प्रदीप वाघेला का इस्तीफा एक दिन हुआ और एक ही दिन मीडिया में आया. बीजेपी के दोनों ही नेताओं ने 29 जुलाई को अपना इस्तीफा दिया था, लेकिन शनिवार को ही यह बात सामने आई. बीजेपी के दोनों ही नेताओं के इस्तीफे स्वीकार भी कर लिए गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि यह महज एक संयोग है या फिर इसके पीछे कोई सियासी प्रयोग है. यह सब ऐसे समय हो रहा है, जब दक्षिण गुजरात के इलाके में सीआर पाटिल को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है. सूरत पर्चा कांड के जरिए सीआर पाटिल को बदनाम करने के आरोपों में सूरत क्राइम ब्रांच ने दक्षिण गुजरात के तीन पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. दीपू यादव, खुमान सिंह और राकेश सोलंकी को गिरफ्तार किया गया. इतना ही नहीं चर्चा है कि सूरत क्राइम ब्रांच की जांच में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं. चर्चाओं में तो बीजेपी के एक बड़े नेता का नाम भी लिया जा रहा है. वहीं, अब सीआर पाटिल के भरोसेमंद माने जाने वाले प्रदीप वाघेला के इस्तीफे से कई तरह से कयास लगाए जाने लगे हैं.

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वाघेला की अग्निपरीक्षा या बीजेपी की अंतर्कलह

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गुजरात बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के बाद प्रदीप सिंह वाघेला सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे. पिछले दिनों बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा हो रही थी, तो वाघेला को ही प्रबल दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था. गुजरात के अहमदाबाद जिले के बकराना गांव के रहने वाले क्षत्रिय नेता वाघेला ने बहुत तेजी से बीजेपी में अपनी जगह बनाई है. गुजरात विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान एबीवीपी के जरिए सियासत में कदम रखा और 2003 में छात्र संघ के चुनाव में जीत दर्ज की. इसके बाद बीजेपी युवा मोर्चा के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे और उसके बाद जीतू बघानी की टीम में वाघेला प्रदेश सचिव रहे. प्रदीप वाघेला का सियासी कद 2020 में बढ़ा, जब प्रदेश अध्यक्ष की कमान सीआर पाटिल को मिली. पाटिल ने अपने टीम में रजनी पटेल, भार्गव भट्ट, विनोद चावड़ा और प्रदीप वाघेला को महासचिव नियुक्त किया था, जिनमें वाघेला सबसे ज्यादा ताकवतर माने जाते थे. पहले अप्रैल में महासचिव पद से भार्गव भट्ट को शीर्ष नेतृत्व ने हटा दिया था और अब प्रदीप सिंह वाघेला का इस्तीफा हुआ है. बीजेपी प्रदेश संगठन में फिलहाल सिर्फ दो ही महासचिव रह गए हैं. वाघेला के इस्तीफे पर बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि उनके खिलाफ किसी तरह से कोई शिकायत नहीं की गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि उनके खिलाफ भी कथित पर्चा कांड हुआ है. इसके अलावा प्रदीप वाघेला ने एक अंग्रेजी अखबार से जिस तरह से कहा है कि इस अग्निपरीक्षा से पाक-साफ होकर फिर से वापसी करेंगे, उसके साफ है कि गुजरात बीजेपी में जरूर कुछ चल रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी में अंतर्कलह काफी जबरदस्त तरीके से चल रही है, जिसके चलते ही एक के बाद एक इस्तीफे हो रहे हैं?

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